Friday 23 December 2011

जाग दर्दे इश्क जाग (Jaag Darde Ishq Jaag)

जाग दर्दे इश्क जाग - (२)
दिल को बेक़रार कर, छेड़ के आंसुओ का राग
जाग  दर्दे इश्क जाग - (२)
जाग .... जाग .....

किसको सुनाऊ दास्ताँ, किसको दिखाऊ दिल के दाग
जाऊ कहा की दूर तक, जलता नहीं कोई चिराग - (२)
राख़ बन चुकी है आग - (२)
दिल को बेक़रार कर, छेड़ के आंसुओ का राग
जाग .... जाग .....

ऐसी चली हवा-ए-गम, ऐसा बदल गया समां - (२)
रूठ के मुझसे चल दिए - २ मेरी ख़ुशी  के कारवां
डस रहें हैं ग़म के नाग
जाग दर्दे इश्क जाग - (२)
दिल को बेक़रार कर, छेड़ के आंसुओ का राग
जाग  दर्दे इश्क जाग

आँख जरा लगी तेरी, सारा जहाँ सो गया
यह जमीं सो गयी, असमान सो गया, सो गया प्यार का चिराग
जाग, जाग, जाग .........

पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई (Puchho Na Kaise Maine Rain Bitayee)

पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई
इक पल जैसे, इक युग बीता - २
युग बीते मोहे नींद न आई
पूछो न कैसे ...

(ना कही चंदा, ना कही तारे
ज्योत के प्यासे मेरे, नैन बिचारे) - २
भोर भी आस की किरण न लायी
पूछो न कैसे ...

इक जले दीपक इक  मन मेरा ...
इक जले दीपक इक  मन मेरा
फिर भी न जाए मेरे घर का अँधेरा
तडपत तरसत उम्र गवाई
पूछो न कैसे ...

Tuesday 20 December 2011

ये महलो, ये तख्तो, ये ताजो की दुनिया (Ye Mahlo Ye Takhto Ye Taajo Ki Duniya)

ये महलो, ये तख्तो, ये ताजो की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजो की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजो की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

हर एक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी,
निगाहों में उलझन, दिलो में उदासी,
ये दुनिया है या आलम-इ-बदहवासी,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

यहाँ एक खिलौना है इंसा की हस्ती,
ये बस्ती है मुर्दा-परस्तो की बस्ती,
यहाँ तो जीवन से है मौत सस्ती,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

जवानी भटकती है बदकार बन कर,
जवा जिस्म सजते हैं बाज़ार बन कर,
यहाँ प्यार होता है व्यापार बन कर,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

ये दुनिया जहां आदमी कुछ नहीं है,
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है,
यहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

जला दो इसे, फूँक डालो ये दुनिया,
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया ,
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

ये दुनिया, ये महफ़िल मेरे काम की नहीं (Ye Duniya Ye Mahafil...)

ये दुनिया, ये महफ़िल मेरे काम की नहीं

किस को सुनाऊ हाल दिल-ये-बेकरार का
बुज़ता हुआ चराग हूँ अपने मजार का
ए काश भूल जाऊ, मगर भूलता नहीं
किस धूम से उठा था, जनाजा बहार का

अपना पता मिले, ना खबर यार की मिले
दुश्मन को भी ना एसी सजा प्यार की मिले
उनको खुदा मिले हैं खुदा की जिन्हें तलाश
मुज़ को बस एक ज़लक मेरे दिलदार की मिले

सहारा में आके भी, मुज़ को ठिकाना ना मिला
गम को भूलाने का, कोइ बहाना ना मिला
दिल तरसे जिस में प्यार को, क्या समजू उस संसार को
एक जीती बाजी हार के, मैं ढूँढू बिछड़े यार को

दूर निगाहों से आंसू बहाता हैं कोइ
कैसे ना जाऊ मै, मुज़ को बुलाता हैं कोइ
या टूटे दिल को जोड़ दो, या सारे बंधन तोड़ दो
ए परबत रास्ता दे मुजे, ए काँटों दामन छोड़ दो

जाने वोह कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला (Jane Wo Kaise Log The..)

जाने वोह कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला
हमने तो जब कलियाँ मांगी काटों का हार मिला

बिछड़ गया हर साथी देकर पल दो पल का साथ
किसको फुरसत है जो थामे दीवाने का हाथ
हमको अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला
हमने तो जब ..

इसको ही जीना कहते हैं तो यूँही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे आंसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा ग़म सौ बार मिला
हमने तो जब...

रुक जाना नहीं तू कही हार के (Ruk Jaana Nahi, Tu Kahi Haar Ke)

रुक जाना नहीं तू कही हार के
कांटो पे चल के मिलेंगे साए बहार के
ओ राही, ओ राही

सूरज देख रुक गया है, तेरे आगे जुक गया है
जब कभी ऐसे कोइ मसताना
निकले हैं अपनी धून में दीवाना
शाम सुहानी बन जाती है, दिन इंतज़ार के

साथी ना कारवां है, ये तेरा इम्तिहान है
यूही चला चल दिल के सहारे
के देती हैं मंजील तुज को इशारे
देख कही कोइ रोका नहीं ले, तुज को पुकार के

Wednesday 23 November 2011

ज़िन्दगी में जब तुम्हारे गम नहीं थे (Jindagi Me Jab Tumhare Gam Nahi The)

ज़िन्दगी में जब तुम्हारे गम नहीं थे
इतने तनहा थे की हम भी हम नहीं थे

वक़्त पर जो लोग काम आये हैं अक्सर
अजनबी थे, वो मेरे हमदम नहीं थे

बेसबब था तेरा मिलना रहगुज़र में
हादसे हर मोड़ पर कुछ कम नहीं थे

हमने ख्वाबो में खुदा बनकर भी देखा
आप थे, बाहों में दो आलम नहीं थे

सामने दीवार थी खुद्दारियों की
वरना रस्ते प्यार के पुराकम नहीं थे

Saturday 12 November 2011

मेरे दीवानेपन की भी दवा नहीं

मेरे दीवानेपन की भी दवा नहीं
मेरे दीवानेपन की भी दवा नहीं
मैंने जाने क्या सुन लिया तुम ने तो कुछ कहा नहीं

मैं ये समझा मेरे दिल की कोई हसरत निकल गयी
तूने देखा मुझे ऐसे के तबियत मचल गयी
वरना तेरे सर की क़सम आदमी मैं बुरा नहीं

बे-अदब हूँ मैं दीवाना किस कदर तू खफा हुयी
छू लिया क्यूँ बदन तेरा तौबा कैसी खता हुयी
सारी दुनिया में कोई मेरे लायक सज़ा नहीं

चांदनी रात में जैसे रूफ-इ-गुल पे किरण पड़ी
बे-सबब रूठ कर तेरे माथे पे यूं शिकन पड़ी
मेरे महबूब ये तेरी बेरुखी है अदा नहीं

दिए जलते है, फुल खिलते है

दिए जलते है, फुल खिलते है
बड़ी मुश्किल से मगर, दुनिया में दोस्त मिलते है

जब जिस वक्त किसी का, यार जुदा होता है
कुछ ना पूछो यारो दिल का, हाल बुरा होता है
दिल पे यादों के जैसे तीर चलते है

इस रंगरूप पे देखो, हरगीज नाज ना करना
जान भी मांगे यार तो दे देना, नाराज ना करना
रंग उड़ जाते है, धुप ढलते है

दौलत और जवानी, इक दिन खो जाती है
सच कहता हूँ, सारी दुनिया दुश्मन हो जाती है
उमरभर दोस्त लेकिन  साथ चलते है

Saturday 5 November 2011

ये कहाँ आ गए हम, यूँ ही साथ साथ चलते

मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं
तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती
तुम उस बात पे कितना हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं

ये कहाँ आ गए हम, यूँ ही साथ साथ चलते
तेरी बाहों में हैं जानम, मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते

ये रात हैं या, तुम्हारी जुल्फे खुली हुयी है
है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी राते धुली हुयी है
ये चाँद है, या तुम्हारा कंगन
सितारे है, या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है, या तुम्हारे बदन की खुशबू
ये पत्तियों की हैं सरसराहट, के तुम ने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम
के जब के, मुझको को भी ये खबर है, के तुम नहीं हो, कही नहीं हो
मगर ये दिल हैं के कह रहा है, तुम यही हो, यही कही हो

तू बदन है, मैं हूँ छाया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करनेवाले, तू जहाँ हैं मैं वहाँ हूँ
हमे मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते

मेरी सांस सांस महके, कोई भीना भीना चन्दन
तेरा प्यार चांदनी है, मेरा दिल हैं जैसे आँगन
हुयी और भी मुलायम, मेरी शाम ढलते ढलते

मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी
तनहाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी
कहने को बहोत कुछ हैं मगर किस से कहे हम
कब तक यूँ ही खामोश रहे हम और सहे हम
दिल कहता हैं दुनियाँ की हर एक रस्म उठा दे
दिवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दे
क्यों दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दे
हां हम को मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी

तुमको देखा तो ये खयाल आया (Tum Ko Dekha To Ye Khayal Aaya)

तुमको देखा तो ये खयाल आया
जिंदगी धुप, तुम घना साया

आज फिर दिल ने एक तमन्ना की
आज फिर दिल को हम ने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यों गाया

यारा सिली सिली, बिरहा के रात का जलना

यारा सिली सिली, बिरहा के रात का जलना
ये भी कोइ जीना हैं, ये भी कोइ मरना

टूटी हुयी चुडीयों से, जोडू ये कलाई मैं
पिछली गली में जाने, क्या छोड़ आयी मैं
बीती हुयी गलियों से, फिर से गुजरना

पैरों में ना साया कोइ, सर पे ना साई रे
मेरे साथ जाए ना, मेरी परछाई रे
बाहर उजाला हैं, अन्दर विराना

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है

झुकी हुयी निगाहों में, कही मेरा ख़याल था
दबी दबी हंसी में, एक हसीं सा गुलाल था
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही हैं वो
न जाने क्यों लगा मुझे के मुस्कुरा रही हैं वो

मेरा ख़याल है, अभी झुकी हुयी निगाहों में
खिली हुयी हँसी भी है, दबी हुयी सी चाह में
मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही हैं वो
यही ख़याल हैं मुझे के साथ आ रही हैं वो

तुम्हे हो ना हो, मुझ को तो इतना यकीन है

तुम्हे हो ना हो, मुझ  को तो इतना यकीन है
मुझे प्यार तुम से नहीं है, नहीं है

मुझे प्यार तुम से नहीं है, नहीं है
मगर मैंने ये राज  अब तक ना जाना
के क्यों प्यारी लगती है, बातें तुम्हारी
मैं क्यों तुम से मिलने का ढूँढू बहाना
कभी मैंने चाहा, तुम्हे छू के देखू
कभी मैंने चाहा, तुम्हे पास लाना
मगर फिर भी इस बात का तो यकीन है..

फिर भी जो तुम दूर रहते हो मुझ से
तो रहते हैं दिल पे, उदासी के साए
कोइ ख्वाब ऊँचे मकानों से झांके 
कोइ ख्वाब बैठा रहे, सर झुकाए
कभी दिल की राहों में फैले अन्धेरा
कभी दूर तक रोशनी मुस्कुराए
मगर फिर भी इस बात का तो ..

तुम पुकार लो, तुम्हारा इंतज़ार हैं

तुम पुकार लो, तुम्हारा इंतज़ार हैं
ख्वाब चुन रही हैं रात  बेकरार हैं

होंठ पे लिए हुए, दिल की बात हम
जागते रहेंगे और, कितनी रात हम
मुफ्तसर सी बात है, तुम से प्यार हैं
तुम्हारा इंतज़ार हैं.. ..

दिल बहल तो जाएगा, इस ख़याल से
हाल मिल गया तुम्हारा, अपने हाल से
रात ये करार की, बेकरार हैं
तुम्हारा इंतज़ार हैं .. ..

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं (tujhase naaraaz nahi zindagi, hairaan hoon main)

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं
ओ हैरान हूँ मैं तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ  मैं
ओ परेशान हूँ मैं

जीने के लिए सोचा ही ना था, दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराऊँ तो, मुस्कुराने के क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊँ कभी तो लगता है
जैसे होंटोंन पे क़र्ज़  रखा है

आज अगर भर आई है, बूँदें बरस जायेंगी
कल क्या पता इनके लिए आखें तरस जाएँगी
जाने कहाँ गुम हुआ कहाँ खोया एक आंसू छुपा के रखा था

ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाये
मिले जो हमें धुप मैं मिले छाँव के ठन्डे साए

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं
ओ हैरान हूँ मैं तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ  मैं

रुके रुके से कदम, रुक के बार बार चले

रुके रुके से कदम, रुक के बार बार चले
करार लेके तेरे, दर से बेकरार चले

सुबह ना आयी, कई बार नींद से जागे
थी एक रात की ये जिन्दगी, गुजार चले

उठाए फिरते थे एहसान दिल का सीने पर
ले तेरे कदमों में ये कर्जा भी उतार चले

फिर वही रात है, फिर वही रात हैं ख्वाब की

फिर वही रात है, फिर वही रात हैं ख्वाब की
रात भर ख्वाब में देखा करेंगे तुम्हें

मासूम सी नींद में, जब कोई सपना चले
हम को बुला लेना तुम, पलकों के परदे तले
ये रात हैं ख्वाब की, ख्वाब की रात है

काँच के ख्वाब है, आँखों में चुभ जायेंगे
पलकों में लेना इन्हें, आँखों में रुक जायेंगे
ये रात हैं ख्वाब की, ख्वाब की रात है

मुसाफिर हूँ यारों न घर है न ठिकाना (Musafir Hoon Yaro, Naa Ghar Hai Naa Thikaanaa)

मुसाफिर हूँ यारों न घर है न ठिकाना  
मुसाफिर हूँ यारों न घर है न ठिकाना
मुझे चलते जाना है बस चलते जाना

एक राह रुक गयी तो और जुड़ गयी
मैं मुडा तो साथ साथ राह मुड गयी  
हवाओं के परों पर मेरा आशियाना  

दिन ने हाथ थाम कर इधर बितालिया
रात ने इशारे से उधर बुलालिया
सुबह से शाम से मेरा दोस्ताना

मोरा गोरा अंग लई ले

मोरा गोरा अंग लई ले, मोहे शाम रंग दी दे
छूप जाऊंगी रात ही में, मोहे पी का संग दे दे

एक लाज रोके पैय्या, एक मोह खींचे बैय्या
जाऊ किधर ना जानू, हमका कोई बताईदे

बदली हटा के चन्दा, चुप के से झाँके चन्दा
तोहे राहू लागे बैरी, मुसकाये जी जलायके

कुछ खो दिया हैं पायके, कुछ पा लिया गवायके
कहाँ ले चला हैं मनवा, मोहे बावरी बनायके

ओ माझी रे ओ माझी रे (O Majhi Re)

ओ माझी रे ओ माझी रे
अपना किनारा नदियाँ की धारा है
ओ माझी रे

साहिलों पे बहनेवाले, कभी सुना तो होगा कहीं ओ
हो कागजों की कश्तियों का कहीं किनारा होता नहीं
ओ माझी रे माझी रे
कोई किनारा जो किनारे से मिले वोह अपना किनारा है
ओ माझी रे

पानियों में बह रहे हैं कई किनारे टूटे हुए ओ
हो रास्तों में मिल गए हैं सभी सहारे छूटे हुए
कोई सहारा मझधारे में मिले जो, अपना सहारा है
ओ माझी रे अपना किनारा नदियाँ की धरा है
ओ माझी रे

जिया लागे ना, तेरे बीना मेरा कही (Jiya Laage Naa...)

ना, जिया लागे ना
तेरे बीना मेरा कही, जिया लागे ना रे

जीना भूले थे कहा, याद नहीं
तुझ को पाया हैं जहा, सांस फिर आयी वही
जिन्दगी तेरे सिवा, हाय भाये ना
ना, जिया लागे ना

पीया तेरी बावरी से रहा जाए ना

तुम अगर जाओ कभी, जाओ कही
वक्त से कहना ज़रा, वो ठहर जाए वही
वो घड़ी वही रहे, ना जाए ना
ना, जिया लागे ना

मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चूने (Maise Tere Liye Hi Saat Rang Ke)

मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चूने
सपने, सुरीले सपने
कुछ हँसते, कुछ गम के
तेरी आँखों के साए चुराए रसीली यादों ने

छोटी बाते, छोटी, छोटी बातों की हैं यादे बड़ी
भूले नहीं, बीती हुयी एक छोटी घड़ी
जनम जनम से आँखे बिछाई तेरे लिए इन राहों ने

भोले भाले, भोले भाले दिल को बहलाते रहे
तनहाई में तेरे ख्यालों को सजाते रहे
कभी कभी तो आवाज देकर मुझको जगाया ख़्वाबों ने

खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता (Khamosh Sa Afsana Paani Se Likha Hota)

खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता  - (२)
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता खामोश  सा अफसाना
ला ला ला ला ला .........
दिल की बात ना पूछो, दिल तोह आता रहेगा  - (२)
दिल बहकता रहा है, दिल बहकता रहेगा
दिल को तुमने ओह, कुछ समझाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता खामोश सा अफसाना
सहमे से रहते है, जब यह दिन ढलते है - (2)
एक दिया बुझता है, एक दिया जलता है
तुमने कोइ, ओह दीप जलाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता
खामोश सा अफसाना

कितने साहिल ढूंढे, कोइ ना सामने आया - (२)
जब मजधार में डूबे, साहिल थामने आया
तुमने साहिल, ओह पहले बचाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता
खामोश सा अफसाना

Friday 4 November 2011

मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं

मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं
सावन के कुछ भीगे दिन रखे हैं
और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पडी हैं
वो रात बुझा दो, मेरा सामान लौटा दो

पतझड़ हैं कुछ, हैं ना ...
पतझड़ में कुछ पत्तों के गिराने की आहट 
कानों में एक बार पहन के लौटाई थी
पतझड़ की वो शांख अभी तक काँप रही हैं
वो शांख गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो

एक अकेले छतरी  में जब आधे आधे भीग रहे थे
आधे सूखे आधे गिले, सुखा तो मैं ले आयी थी
गिला मन शायद, बिस्तर के पास पडा हो
वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो

एक सौ सोलह चाँद की रातें, एक तुम्हारे काँधे का तील
गीली मेहंदी की खुशबू, झूठमूठ के शिकवे कुछ
झूठमूठ के वादे भी, सब याद करा दो
सब भिजवा दो, मेरा वो सामन लौटा दो

एक इजाजत दे दो बस
जब इस को दफ़नाउन्गी 
मैं भी वही सो जाऊँगी

कोई होता जिस को अपना, हम अपना कह लेते यारो (Koi Hota Jisko Apna...)

कोई होता जिस को अपना, हम अपना कह लेते यारो
पास नहीं तो दूर ही होता, लेकीन कोई मेरा अपना

आँखों में नींद ना होती, आंसू ही तैरते रहते
ख़्वाबों में जागते हम रात भर
कोई तो गम अपनाता, कोई तो साथी होता

भूला हुआ कोई वादा, बीती हुयी कुछ यादे
तनहाई दोहराती हैं रातभर
कोई दिलासा होता, कोई तो अपना होता
 

जब भी ये दिल उदास होता है (Jab Bhi Ye Udaas Hota Hai)

जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आसपास होता है

होंठ चुपचाप बोलते हो जब
सांस कुछ तेज तेज चलती हो
आँखे जब दे रही हो आवाजे
ठंडी आहो में सांस जलती हो

आँख में तैरती हैं तसवीरे
तेरा चेहरा, तेरा ख़याल लिए
आईना देखता हैं जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए

कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतज़ार रहता है
बेवजह जब करार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा (Jaane Kya Sochkar Nahi Gujara...)

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा
एक पल रातभर नहीं गुजरा

अपनी तनहाई का औरों से ना शिकवा करना
तुम अकेले ही नहीं हो सभी अकेले है
ये अकेला सफ़र नहीं गुजरा

दो घड़ी जीने की मोहलत तो मिली हैं सब को
तुम भी मिल जाओ घडीभर तो ये गम होता है
एक घड़ी का सफ़र नहीं गुजरा

इस मोड़ से जाते है, कुछ सुस्त कदम रस्ते (Is Mod Se Jaate Hai..)

इस मोड़ से जाते है, कुछ सुस्त कदम रस्ते
कुछ तेज कदम राहे
पत्थर की हवेली को, शीशे के घरोंदो में
तिनको के नशेमन तक
इस मोड़ से जाते है...

आंधी की तरह उड़कर, एक राह गुजरती है
शरमाती हुयी कोई, क़दमों से उतरती है
इन रेशमी राहो में, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है..

एक दूर से आती है,पास आके पलटती है
एक राह अकेली सी, रुकती हैं ना चलती है
ये सोच के बैठी हूँ, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है.. ..

हुजूर इस कदर भी ना इतराके चलिए (Huzur Is Kadar Bhi....)

हुजूर इस कदर भी ना इतराके चलिए
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिए

कोई मनचला अगर पकड़ लेगा आँचल
ज़रा सोचिये आप क्या किजीयेगा
लगा दे अगर, बढ़ के जुल्फों में कलियाँ
तो क्या अपनी जुल्फे झटक दिजीयेगा

बड़ी दिलनशी हैं हँसी की ये लडीयाँ
ये मोती मगर यूँ ना बिखराया कीजे
उड़ा के ना ले जाए जोंका हवा का
लचकता बदन यूँ ना लहराया कीजे

बहोत खूबसूरत हैं, हर बात लेकिन
अगर दिल भी होता, तो क्या बात होती
लिखी जाती फिर दास्ताँ-ए-मोहब्बत
एक अफसाने जैसी मुलाक़ात होती

घर जायेगी, तर जायेगी, डोलियाँ चढ़ जायेगी (Ghar Jayegi, Tar Jayegi...)

घर जायेगी, तर जायेगी, डोलियाँ चढ़ जायेगी
मेहंदी लगायेगी  रे, काजल सजायेगी रे,
दुल्हनिया मर जायेगी

धीरे धीरे लेके चलना, आँगन से निकलना
कोइ देखे ना, दुल्हन को गली में
अंखिया झुकाते हुए, घुंगटा   गिराए हुए,

मुखडा छुपाये हुए चली मैं
जायेगी, घर जायेगी.. ..

मेहंदी मेहंदी खेली थी मैं,  तेरी ही सहेली थी मैं
तू ने जब कुसुम को चुना था
तू ने मेरा नाम कभी, आँखों से पुकारा नहीं

मैंने जाने कैसे सूना था
जायेगी, घर जायेगी.. ..

छोटी सी कहानी से, बारीशों की पानी से (Chhoti Si Kahani Se, Barisho Ki Paani Se)

छोटी सी कहानी से, बारीशों की पानी से
सारी वादी भर गयी,
ना जाने क्यों, दिल भर गया,
ना जाने क्यों, आँख भर गयी

शाखों पे पत्ते थे,पत्तों पे बूंदे थी
बूंदो में पानी था,पानी में आंसू थे

दिल में गीले भी थे,पहले मिले भी थे
मिलके पराये थे, दो हमसाये थे

हवाओं पे लिख दो, हवाओं के नाम (Hawao Pe Likh Do)

हवाओं पे लिख दो, हवाओं के नाम
हम अनजान परदेसियों का सलाम

ये किस के लिए है, बता किस के नाम
ओ पंछी तेरा ये सुरीला सलाम

शांख पर जब धुप आयी, हाथ छू ने के लिए
छाँव छम से नीचे कूदी, हँस के बोली आईये
यहाँ सुबह से खेला करती हैं शाम

चुलबुला ये पानी अपनी राह बहना भूलकर
लेटे लेटे आईना चमका रहा हैं फूलपर
ये भोले से चेहरे हैं मासूम नाम

हम ने देखी है, उन आखों की महकती खुशबू (Hamne Dekhi Hai In Aankho Ki Mahakti Khushbhoo)

हम ने देखी है, उन आखों की महकती खुशबू
हाथ से छूके इसे, रिश्तो का इल्जाम ना दो
सिर्फ एहसास हैं ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो

प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज नहीं
एक खामोशी हैं सुनती हैं कहा करती हैं
न ये बुझती है, न रुकती है, न ठहरी हैं कही
नूर की बूँद है, सदियों से बहा करती हैं

मुस्कराहट सी खिली रहती हैं आँखों में कही
और पलको पे उजाले से झुके रहते हैं
होठ कुछ कहते नहीं, कापते होठों पे मगर
कितने खामोश से अफसाने रुके रहते हैं

हम को मन की शक्ती देना, मन विजय करे (Hum Ko Man Ki Shakti Dena)

हम को मन की शक्ती देना, मन विजय करे
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करे

भेदभाव अपने दिल से साफ़ कर सके
दोस्तों से भूल हो तो माफ़ कर सके
झूठ से बचे रहे, सच का दम भरे
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करे

मुश्किलें पड़े तो हम पे इतना करम कर
साथ दे तो धरम का, चले तो धरम कर
खुद पे हौसला रहे, बदी से ना डरे
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करे

गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता Gulmohar Gar Tumhara Naam Hota

गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता
मौसम-इ-गुल को हसाना भी हमारा काम होता

आएँगी बहारें तो अबके उन्हें कहना ज़रा
इतना  सुने
मेरे गुल बिना कहाँ उनका बहार नाम होता
गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता ...

शाम के गुलाबी से आँचल में एक दिया जला
है चाँद का
मेरे उन बिना कहाँ उसका चाँद नाम होता
गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता ...

बोले रे पपीहरा, पपीहरा bole re papeeharaa, papeeharaa

बोले रे पपीहरा, पपीहरा
नीत घन बरसे, नीत मन प्यासा
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे

पलकों पर एक बूँद सजाये
बैठी हूँ सावन ले जाए
जाए पी के देस में बरसे
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे

सावन जो संदेसा लाये
मेरी आँख से मोती पाए
जान मिले बाबूल के घर से
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे

आज कल पाँव जमीन पर नहीं पड़ते मेरे aaj kal paaw jameen par naheen padate mere

आज कल पाँव जमीन पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा हैं कभी, तुमने मुझे उड़ते हुए

जब भी थामा हैं तेरा हाथ तो देखा हैं
लोग कहते हैं की, बस हाथ की रेखा हैं
हम ने देखा हैं दो  तकदीरों को जुड़ते हुए

नींद सी रहती है, हलकासा नशा रहता हैं
रात दिन आखों में, एक चेहरा बसा रहता हैं
पर लगी आखों को देखा हैं कभी उड़ते हुए

जाने क्या होता है, हर बात पे कुछ होता हैं
दिन में कुछ होता है, और रात में कुछ होता हैं
थाम लेना जो कभी देखो हमे उड़ते हुए

आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं Aankhon Mein Hamne Aap Ke Sapne Sajaaye Hain

आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं
पलकें उठा के आप ने जादू जगाये हैं
सपना भी आप ही हैं हकीकत भी आप हैं
बस आप आप आप ही मुझमें समाये हैं

आँखों का रंग  ढूंढा है हीरे तलाश कर
दिल में सजायेंगे ये रंग यूँ ही उम्र भर
मुश्किल से ज़िन्दगी के
मुश्किल से ज़िन्दगी के, रंग हाथ आये हैं
आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं

दोहराए जायेंगे न ये लम्हात अब कभी
सपनों में भी न छूटेगा ये साथ अब कभी
मिलती है ज़िन्दगी जब आप मुस्कुराए हैं

ये दिल कुछ ऐसे आप के सजदे में झुक गया
नज़रे उठायी आप ने तो वक़्त रुक गया
ठहरे हुए पलों में
ठहरे हुए पलों में, ज़माने बिताये हैं
आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं

आप की आँखों में कुछ महके हुए से राज़ है (Aap Ki Aankho Me Kuchh Mahake Hue Se Raaj Hai)

आप की आँखों में कुछ महके हुए से राज़ है (२)
आप से भी ख़ूबसूरत आप के अंदाज़ है
आप की आँखों में कुछ महके हुए से राज़ है

लब हिले तो मोगरे के फूल खिलते है कहीं (२)
आप की आँखों में क्या साहिल भी मिलते है  कहीं
आप की खामोशियाँ भी आप की आवाज़ है

आप की बातों में फिर कोई शरारत तो नहीं (२)
बेवजह तारीफ़ करना आप की आदत तो नहीं
आप की बदमाशियों के यह नए अंदाज़ है

Wednesday 2 November 2011

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को Jaise suraj ki garmi se jalte hue tan ko

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला हैं मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम

भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लडती हुयी नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा
उस लडखडाती हुयी नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया

शीतल बने आग चन्दन के जैसी, राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाए रातें, जो थी अमावस अंधेरी
युग युग से प्यासी मरुभूमी में जैसे सावन का संदेस पाया

जिस राह की मंझील तेरा मिलन हो, उस पर कदम मैं बढ़ाऊ
फूलों में खारों में, पतझड बहारों में, मैं ना कभी डगमगाऊ
पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया

ये गर्व भरा, मस्तक मेरा Ye Garv Bhara, Mastak Mera

ये गर्व भरा, मस्तक मेरा
प्रभु चरण धुल तक, झुकने दे
अहंकार विकार, भरे मन को
निज नाम की माला, जपने दे
ये गर्व भरा ...

मै मन की मैल को, धो न सका
ये जीवन तेरा,  हो न सका
आ हो न सका, मै प्रेमी हूँ
इतना न झुका
गिरभी जो पडूं  तो, उठने दे
ये गर्व भरा ...


मैं ज्ञान की बातों में, खोया
और, कर्म हीन पड़कर सोया
जब आंख खुली, तो मन रोया
जब सोये मुझ को , जागने दे
ये गर्व भरा ...


जैसा होऊं मै, खोटा या खरा,
निर्दोष शरण में , आ तो गया
आ, आ तो गया
इक बार ये, कहदे खाली जा
ये प्रीत की रीत, झलक ने दे
ये गर्व भरा ...

Tuesday 1 November 2011

तू जो मेरे सुर में Tu jo mere sur mein

तू जो मेरे सुर में - २ 
सुर मिला ले  संग गा ले
तो ज़िन्दगी हो जाए सफल 

तू जो मेरे मन का - २
घर बना ले, मन लगा ले
तो बंदगी हो जाए सफल 

तू जो मेरे सुर में
        
चांदनी रातो में, हाथ लिए हाथो में  
चांदनी रातो में, हाथ लिए हाथो में 
डूबे रहे एक दुसरे की, रस भरी बातो में 

तू जो मेरे संग में - २
मुस्कुरा ले, गुनगुना ले 
तो ज़िन्दगी हो जाए सफल 
तू जो मेरे मन का...
तू जो मेरे सुर में...
          
क्यों हम बहारो से, खुशिया उधार ले 
क्यों हम बहारो से, खुशिया उधार ले
क्यों न मिलके हम खुद ही अपना जीवन सुधार ले 

तू जो मेरे पथ में - २
दीप जलाले हो उजाले
तो बंदगी हो जाए सफल 

तू जो मेरे सुर में - २
सुर मिला ले, संग गा ले
तो ज़िन्दगी हो जाए सफल

रजनीगन्धा फूल तुम्हारे, महके यूं ही जीवन में rajaneegandhaa phool tumhaare

रजनीगन्धा फूल तुम्हारे, महके यूं ही जीवन में
यूं ही महके प्रीत पीया की मेरे अनुरागी मन में

आधिकार ये जब से साजन का हर धड़कन पर माना मैंने
मै जब से उन के साथ बंधी, ये भेद तभी जाना मैंने
कितना सुख हैं बंधन में

हर पल मेरी इन आखों में बस रहते हैं सपने उन के
मन कहता हैं मैं रंगों की, एक प्यार भरी बदली बन के
बरसू उन के आँगन में

न जाने क्यूँ, होता है यह ज़िन्दगी के साथ Na Jaane Kyun, Hota Hai Yeh Zindagi Ke Saath

न जाने क्यूँ, होता है  यह ज़िन्दगी के साथ
अचानक यह मन, किसीके जाने के बाद
करे फिर उसकी याद छोटी छोटी सी बात
न जाने क्यूँ  ...

जो अनजान पल, ढल गए कल, आज वोह
रंग बदल बदल, मन को मचल मचल
रहें है चल, न जाने क्यूँ वोह अनजान पल
सजे भी न मेरे, नैनो में
टूटे रे है रे सपनो के महल
न जाने क्यूँ  ...

वोही है डगर, वोही है सफ़र 
है नहीं साथ मेरे मगर अब मेरा हमसफ़र
इधर उधर ढूंढे नज़र वोही है डगर
कहाँ गयी शामें, मदभरी  
वोह मेरे, मेरे वोह दिन गए किधर
न जाने क्यूँ ...

कई बार यूं भी देखा है Kaee Baar Yoo Bhee Dekhaa Hai

कई बार यूं भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी प्यास के पीछे
अनजानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता है

राहों में, राहों में
जीवन की राहों में
जो खिले हैं फूल फूल मुस्कुरा के
कौन सा फूल चुरा के
रखू मन में सजा के

जानू ना, जानू ना
उलझन ये जानू ना
सुलझाऊ कैसे कुछ समझ ना पाऊ
किस को मीत बनाऊ
किस की प्रीत भूलाऊ

जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना (Jab Deep Jale Aana, Jab Shaam Dhale Aana)

जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना
संदेस मिलन का भूल न जाना मेरा प्यार न बिसराना
जब दीप जले आना

नीत सांझ सवेरे मिलते हैं
उन्हें देखके तारे खिलते हैं
लेते हैं वादा एक दूजे से कहते हैं चले आना
जब दीप जले आना

नी रे गा, रे गा, प गा  रे  सा  सा  नी

मैं पलकन डगर बुहारुंगा
तेरी राह निहारूंगा
मेरी प्रीत का काजल तुम अपने नैनो में मले आना
जब दीप जले आना

जहां पहेली बार मिले थे हम
जिस जगह से संग चले थे हम
नदिया के किनारे आज उसी
अम्बुआ के तले आना
जब दीप जले आना

Monday 31 October 2011

मधुबन खुशबू देता है (Madhuban Khushbu Deta Hai)

मधुबन खुशबू देता है, सागर सावन देता है
जीना उसका जीना है, जो औरो को जीवन देता है
मधुबन खुशबू देता है

सूरज ना बन पाए तो, बनके दीपक जलता चल - २
फूल मिले या अंगारे, सच की राहो पे चलता चल - २
प्यार दिलो को देता है, अश्को को दामन देता है
जीना उसका जीना है, जो औरो को जीवन देता है
मधुबन खुशबू देता है

चलती है लहराके पवन, के सांस सभी की चलती रहे  - २
लोगो ने त्याग दिए जीवन, के प्रीत दिलो में पलती रहे  - २
दिल वोह दिल है जो औरो को, अपनी धडकन देता है
जीना उसका जीना है, जो औरो को जीवन देता है

रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है raat aaur din diyaa jale, mere man mein fir bhee andhiyaaraa hai

रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
जाने कहा है, ओ साथी, तू जो मिले जीवन उजियारा है

पग पग मन मेरा ठोकर खाए, चाँद सूरज भी राह ना दिखाए
एसा उजाला कोइ मन में समाये, जिस से पीया का दर्शन मिल जाए

गहरा ये भेद कोइ मुझ को बताये, किसने किया हैं मुझपर अन्याय
जिस का हो दीप वो सुख नहीं पाए, ज्योत दिए की दूजे घर को सजाये

खुद नहीं जानू ढूंढें किस को नजर, कौन दिशा हैं मेरे मन की डगर
कितना अजब ये दिल का सफ़र, नदियाँ में आये जाए जैसे लहर

इस मोड़ से जाते हैं कुछ सुस्त कदम रस्ते (is mod se jaate hain kuchh sust kadam raste)

इस मोड़ से जाते हैं
कुछ सुस्त कदम रस्ते
कुछ तेज़ कदम राहें
इस मोड़ से जाते हैं

सहारा की तरफ  जा कर
इक राह बगोलों में
खो जाती है चकरा कर
इक राह उधादाती सी
छिलती हुयी काँटों से
जंगल से गुज़रती है
इक दौड़ के जाती है
और कूद के गिरती है
अनजान कलाओं में
इस मोड़ से जाते हैं

उस मोड़ पे बैठा हूँ   
जिस मोड़ से जाती है
हर एक तरफ राहें
इक रोज़ तो यूं होगा
इस मोड़ पे आकर तुम
रुक जाओगी कह दोगी 
वो कौन सा रास्ता है
जिस राह पे जाना है - २
वो कौन सा रास्ता है
जिस राह पे जाना है

ज़िन्दगी मेरे घर आना आना ज़िन्दगी (Zindagi Mere Ghar Aana Aana Zindagi)

ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना आना ज़िन्दगी
ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना आना ज़िन्दगी

मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
ये घर जो है चारों तरफ से खुला है
न दस्तक ज़रूरी, न आवाज़ देना
मेरे घर का दरवाज़ा कोई नहीं है
हैं दीवारें गुम और छत भी नहीं है
बढ़ी धुप है दोस्त
बढ़ी धुप है दोस्त
तेरे आँचल का साया चुराके जीना है
जीना जीना ज़िन्दगी, ज़िन्दगी
ओ ज़िन्दगी मेरे घर आना
आना ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना

मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
मेरे घर के आगे मोहब्बत लिखा है
न दस्तक ज़रूरी, न आवाज़ देना
मैं सांसों की रफ़्तार से जान लुंगी
हवाओं की खुशबू से पहचान लुंगी
तेरा फूल हूँ दोस्त
तेरी भूल हूँ दोस्त
तेरे हाथों में चेहरा छुपा के जीना है जीना 
जीना  ज़िन्दगी, ज़िन्दगी ओ  ज़िन्दगी
मेरे घर आना
आना ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना

होंठों से छू लो तुम (Honthon Se Chulo Tum)

होंठों से छू लो तुम
मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मित मेरे
मेरी प्रीत अमर कर दो

न उम्र की सीमा हो
न जनम का हो बंधन
जब प्यार करे कोई
तो देखे केवल मन
नयी रीत चलाकर तुम
ये रीत अमर कर दो

होंठों से छू लो तुम

जग ने छिना मुझसे
मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे
मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना
मेरी जित अमर कर दो

होंठों से छू लो तुम

आकाश का सूनापन
मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम
आजाओ जीवन में
साँसें देकर अपनी
संगीत अमर कर दो

होंठों से छू लो तुम  

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है (Kabhi kabhi mere dil mein khayaal aata hai)

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
की जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीन पे बुलाया गया है मेरे लिए

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
की ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं
ये केसुओं की घनी छाओं हैं मेरी खातिर
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
की जैसे बजती हैं शेहनाइयां सी राहों में
सुहाग रात हैं घूंघट उठा रहा हूँ मैं
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बाहों में

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
की जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूहीं
उठेगी मेरी तरफ प्यार की नज़र यूहीं
मैं जानता हूँ की तू गैर है मगर यूहीं

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

बड़े बड़ाई न कर बड़े न बोले बोल (bade badaai na kare bade na bole bol)

बड़े बड़ाई न करे बड़े न बोले बोल - २
रहीमा लाख दफा मेरो मोल - २

(हिरा मुख से न कहे लाख टका मेरा मोल)

जो बड़ें को लघु कहे नहीं रहीम घट जाए - २
गिरधर मुरलीधर कहे कछु दुःख मानत नाई
रहीमा कछु दुःख मानत नाई

ग्यानी से कहिये कहा कहत कबीर लजाय - २
अंधे आगे नाचते कला अकारत जाय
कबीरा कला अकारत जाय

ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोल - २
औरन को शीतल करे आप उसी संग होय
कबीरा आप उसी संग होय

रात गवई सोये के दिवस गवायो खाय - २
हीरा जनम अमोल का कौड़ी बदले जाय
कबीरा कौड़ी बदले जाय

तुलसी भरोसे राम के निर्भय होके सोये  - २
अनहोनी होनी नहीं  होनी हो सो होय
रे तुलसी होनी हो सो होय

मेरी भव बाधा हरो राधा नागर सोय  - २
जा तनु किधाई परे शाम हरित  द्विति  होय
बिहारी शाम हरित द्विति होय

दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोई  - २
जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे को होय
कबीरा दुःख काहे को होय

आवत ही हर्षे नहीं नैनं नहीं सनेह - २
तुलसी तहा न जाए चाहे कंचन बरसे मेह
तुलसी चाहे कंचन बरसे मेह

बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोई  - 2
जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय
कबीरा  मुझसे बुरा न कोय

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय - २
टूटे से फिर न जुड़े जुड़े गाठ पड़ जाए
रहीमा जुड़े गाठ  पड़ जाए

बिगड़ी बात बने नहीं लाख करो किन्कोई  - २
रहिमन बिगड़े दूध को मथे न माखन होय
रहीमा मथे  न माखन होय

अंखियों के झरोखों से मैंने देखा जो सांवरे (Ankhiyon Ke Jharokhon Se Maine Dekha Jo Saanware)

अंखियों के झरोखों से मैंने देखा जो सांवरे
तुम दूर नज़र आये बड़ी दूर नज़र आये
बंद करके झरोखों को ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम्ही मुस्काए मन में तुम्ही मुस्काए
अंखियों के झरोखों से

एक मन था मेरे पास वोह अब खोने लगा है
पाकर तुझे है मुझे कुछ होने लगा है
एक तेरे भरोसे पे सब बैठी हूँ भूल के
यूं ही उम्र गुज़र जाये तेरे साथ गुज़र जाये
अंखियों के झरोखों से ...

जीती हूँ तुझे देख के मरती हूँ तुम्ही पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीँ पे
दिन रात दुआ मांगे मेरा मन तेरे वास्ते
कभी अपनी उम्मीदों का कहीं फूल न मुरझाये
अंखियों के झरोखों से ...

मैं जब से तेरे प्यार के रंगों में रंगी हूँ
जागते हुए सोई नहीं नींदों में जगी हूँ
मेरे प्यार भरे सपने कहीं कोई न छीन ले
मन सोच के घबराये यही सोच के घबराये
अंखियों के झरोखों से ...

ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम (Zindagi Ke Safar Mein Guzar Jaate Hain Jo Makaam)

ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते

फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं
फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं
पतझड़ में जो फूल मुरझा जाते हैं
वो बहारों के आने से खिलते नहीं
कुछ लोग इक रोज़ जो बिछड़ जाते हैं
वो हजारों के आने से मिलते नहीं
उम्र भर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते

ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम

आँख धोखा है,  क्या भरोसा है
आँख धोखा है, क्या भरोसा है सुनो
दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने न दो
कल तड़पना पड़े याद में जिनकी
रोक लो रूठ कर उनको जाने न दो
बाद में प्यार के चाहे भेजो हजारों सलाम
वो फिर नहीं  आते, वो फिर नहीं आते

ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम

सुबह आती है, शाम जाती है
सुबह आती है, शाम जाती है  यूँही
वक़्त चलता ही रहता है रुकता नहीं
एक पल में ये आगे निकल जाता है
आदमी ठीक से देख पाता नहीं
और पर्दे पे मंज़र बदल जाता है
एक बार चले जाते हैं जो दिन-रात सुबह-ओ-शाम
वो फिर नहीं आते , वो फिर नहीं  आते

ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम

कैसे कहे हम प्यार ने हम को, क्या क्या खेल दिखाए (kaise kahe hum pyaar ne hum ko, kyaa kyaa khel dikhaaye)

कैसे कहे हम  प्यार ने हम को, क्या क्या खेल दिखाए
यूं शरमाई किस्मत हम से, खुद से हम शरमाये

बागों को तो पतझड़ लुटे, लूटा हमे बहार ने
दुनिया मरती मौत से लेकिन  मारा हम को प्यार ने
अपना वो हाल है, बीच सफ़र में, जैसे कोइ लूट जाए

तुम क्या जानो, क्या चाहा था, क्या लेकर आये हम
टूटे सपने, घायल नगमे, कुछ शोले कुछ शबनम
कितना कुछ हैं पाया हम ने, कहे तो कहा ना जाए

एसी बजी शहनाई घरमे, अब तक सो ना सके हम
अपनों ने हम को इतना सताया, रोये तो रोना सके  हम
अब तो करो कुछ एसा यारो, होश ना हम को आये

कोइ ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है (Koi Ye Kaise Bataye Ke Wo Tanha Kyo Hai?)

कोइ ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया हैं तो फिर, एसी ये दुनिया क्यों है
यही होता हैं तो, आखिर यही होता क्यों है?

इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ ले दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत हैं तो फिर फासला इतना क्यों है?

दिला-ये-बरबाद से निकला नहीं अबतक कोइ
इक लुटे घर पे दिया करता हैं दस्तक कोइ
आस जो टूट गयी हैं फिर से बंधाता क्यों है?

तुम मसर्रत का कहो या इसे गम का रिश्ता
कहते है प्यार का रिश्ता हैं जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है ?

तू नहीं तो जिन्दगी में और क्या रह जाएगा (too naheen to jindagee mein aaur kyaa rah jaayegaa)

तू नहीं तो जिन्दगी में और क्या रह जाएगा
दूर तक तनहाईयों का सिलसिला रह जाएगा

दर्द की सारी तहे और सारे गुजरे हादसे
सब धुवां हो जायेंगे, एक वाकिया रह  जाएगा

यूं भी होगा वो मुझे दिल से भूला देगा मगर
ये भी होगा खुद उसी में एक खला रह जाएगा

दायरे इनकार के इकरार की सरगोशियाँ
ये अगर टूटे कभी तो फासला रह जाएगा

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो (Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho)

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - २
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो - २
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - २

आँखों में नमी,  हंसी लबों पर - २
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो - २

बन जायेंगे ज़हर पीते पीते - २
यह अश्क जो पिए जा रहे हो - २
जिन ज़ख्मों को वक़्त भर चला है - २
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो - २
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर - २
रेखाओं से मात खा रहे हो - २
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो - ३

झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार हैं के नहीं (Jhuki Jhuki Si Nazar Bekarar Hain Ke Naheen)

झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार हैं के नहीं - २
दबा दबा सा सही दिल में प्यार हैं के नहीं
झुकी झुकी सी नज़र

तू अपने दिल की जवान धड़कनों को गिन के बता - २
मेरी तरह तेरा दिल बेकरार हैं के नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार हैं के नहीं
झुकी झुकी सी नज़र

तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को - २
तुझे भी अपने पे ये एतबार हैं के नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार हैं के नहीं
झुकी झुकी सी नज़र

अपनी तो जैसे तैसे (Apni To Jaise Taise)

अपनी तो जैसे तैसे 
थोड़ी ऐसे या वैसे
कट जायेगी
आपका क्या होगा जनाबे-आली
आपका क्या होगा 

अपने आगे न पीछे
न कोई ऊपर नीचे
रोनेवाला  
न कोई रोनेवाली जनाबे-आली
आपका क्या होगा 

आप भी मेरी तरह इंसान की औलाद हैं
आप मूह मांगी दुआ 
हम अनसुनी फरयाद हैं 
वोह जिन्हें सारा ज़माना समझे लावारिस यहाँ
आप जैसे जालिमों के ज़ुल्म की इजात हैं
गाली हुजुर की तो
लगती दुआओं जैसी
हम दुआ भी दे तो लगे है गाली
आपका क्या होगा जनाबे-आली
आपका क्या होगा 

आपके माथे से छलके जो पसीना भी कहीं
आसमा हिलने लगे और काप उठे यह ज़मीन
आपका तो यह पसीना खून से भी कीमती
और अपने खून की कीमत यहाँ कुछ भी नहीं
अपना तो खून  पानी
जीना मरना बेमानी
वक़्त की हर अदा है अपनी देखी भाली

ज़िन्दगी देने वाले सुन (Jindagi Dene Wale Sun)

ज़िन्दगी देने वाले सुन
तेरी दुनिया से दिल भर गया
मैं यहाँ जीते जी मर गया

रात कट ती  नहीं, दिन गुज़रता नहीं
ज़ख्म ऐसा दिया है के भरता नहीं
आंख वीरान है दिल परेशां है ग़म का सामान है
जैसे जादू कोई कर गया

बेखता तुने मुझ से ख़ुशी छीन ली
जिंदा रखा मगर ज़िन्दगी छीन ली
कर दिया दिल का खून चुप कहाँ तक रहूँ
साफ़ क्यूँ न कहूँ
जी ख़ुशी से मेरा डर गया

Sunday 30 October 2011

जब प्यार किया तो डरना क्या (Jab Pyar Kiya To Darna Kya)

इंसान किसी से दुनिया में
एक बार मोहब्बत करता है
इस दर्द को लेकर जीता है
इस दर्द को लेकर मरता है

प्यार किया तो डरना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या
प्यार किया कोई चोरी नहीं की
प्यार किया
प्यार किया कोई चोरी नहीं की
छूप छूप आहे भरना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या
प्यार किया तो डरना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या

आज कहेंगे दिल का फ़साना
जान भी ले ले चाहे ज़माना
आज कहेंगे दिल का फ़साना
जान भी ले ले चाहे ज़माना
मौत वही जो दुनिया देखे
मौत वही जो दुनिया देखे
घूंट घूंट कर यु मरना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या
प्यार किया तो डरना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या
उनकी तमन्ना दिल में रहेगी
शम्मा इसी महफ़िल में रहेगी
उनकी तमन्ना दिल में रहेगी
शम्मा इसी महफ़िल में रहेगी
इश्क में जीना इश्क में मरना
इश्क में जीना इश्क में मरना
और हमे अब करना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या
प्यार किया तो डरना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या
छूप ना सकेगा इश्क हमारा
चारो तरफ हैं उनका नज़ारा

पर्दा नहीं जब कोई खुदा से
पर्दा नहीं जब कोई खुदा से
बन्दों से पर्दा करना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या

प्यार किया तो डरना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या

प्यार किया कोई चोरी नहीं की
छूप छूप आहे भरना क्या
जब प्यार किया तो डरना क्या

Saturday 29 October 2011

करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी (Karoge Yaad To, Har Baat Yaad Aayegi)

करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी
गुजरते वक्त की, हर मौज ठहर जायेगी

ये चाँद बीते जमानो का आईना होगा
भटकते अबर में चेहरा कोइ बना होगा
उदास राह कोइ दासता सुनाएगी

बरसता भीगता मौसम धुवा धुवा होगा
पिघलती शम्मो पे दिल का मेरे गुमा होगा
हथेलियों की हिना, याद कुछ दिलायेगी

गली के मोड़ पे, सूना सा कोइ दरवाजा
तरसती आँखों से, रास्ता किसी का देखेगा
निगाह दूर तलक, जा के लौट आयेगी

दिखाई दिए यूँ के बेखुद किया (Dikhai Diye Yu Ki Bekhud Kiya)

दिखाई दिए यूँ के बेखुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले
दिखाई दिए यूँ के बेखुद किया
दिखाई दिए यूँ

जभीं सजदा करते  ही करते गयी
हक-ए-बंदगी हम अदा कर चले


दिखाई दिए यूँ के बेखुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले
दिखाई दिए यूँ

परस्तिश किया तक के ए बुत तुझे
नज़र में सभों की खुदा कर चले

दिखाई दिए यूँ के बेखुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले
दिखाई दिए यूँ

बहुत आरज़ू थी गली की तेरी
सो यास-ए-लहू में नहा कर चले

दिखाई दिए यूँ के बेखुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले
दिखाई दिए यूँ

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों हैं ? (Sine Me Jalan Aankho Me Tufan Sa Kyo Hai?)

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों हैं ?
इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों हैं ?

दिल हैं तो, धड़कने का बहाना कोइ ढूंढें
पत्थर की तरह बेहिसा-ओ-बेजान सा क्यों हैं ?

तनहाई की ये कौनसी, मंजिल हैं रफीकों
ता-हद्द-ये-नजर एक बयाबान सा क्यों हैं ?

क्या कोइ नयी बात नजर आती हैं हम में
आईना हमे देख के हैरान सा क्यों हैं ?

तुम आ गए हो नूर आ गया है (Tum Aa Gaye Ho, Noor Aa Gaya Hai)

तुम आ गए हो नूर आ गया है - २
नहीं तो चरागों से लौ जा रही थी 
जीने की तुमसे वजेह मिल गयी है
बड़ी बेवजह ज़िन्दगी जा रही थी 
तुम आ गए हो नूर आ गया है 
          
कहा से चले कहा के लिए ये खबर नहीं थी मगर
कोई भी सीर जहा जा मिला वही तुम मिलोगे
के हम तक तुम्हारी दुवा आ रही थी
तुम आ गए हो नूर आ गया है 
नहीं तो चरागों से लौ जा रही थी
तुम आ गए हो नूर आ गया है  
         
दिन डूबा नहीं रात डूबी नहीं जाने कैसा है सफ़र
ख्वाबो के  दिए आँखों में लिए वही आ रहे थे
जहा से तुम्हारी सदा आ रही थी
तुम आ गए हो नूर आ गया है
नहीं तो चरागों से लौ जा रही थी
तुम आ गए हो नूर आ गया है

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा (Tere Bina Jindagi Se Koi Shikwa)

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं
शिकवा नहीं, शिकवा नहीं, शिकवा नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं
ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से शिकवा तो नहीं

जी में आता है तेरे दामन में
सर छुपाके हम रोते रहे, रोते रहे  - २
तेरी भी आँखों में आंसुओं की नमी तो नहीं

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं
शिकवा नहीं, शिकवा नहीं, शिकवा नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं
ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं
तुम जो कह दो तो आज की रात
चाँद डूबेगा नहीं, रात को रोक लो  - २
रात की बात है, और ज़िन्दगी बाक़ी तो नहीं


तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं
ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं

तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं
ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं, ज़िन्दगी नहीं

तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं
शिकवा नहीं, शिकवा नहीं, शिकवा नहीं

तेरे बिना जिया जाए ना (Tere Bina Jiya Jaaye Naa)

तेरे बिना जिया जाए ना  - २
बिन तेरे तेरे बिन साजना
सांस में सांस आये ना
तेरे  बिना

जब भी ख्यालों में तू आये
मेरे बदन से ख़ुशबू आये
महके बदन में रहा ना जाए
रहा जाए ना
तेरे बिना

रेशमी रातें रोज़ ना होंगी
ये सौगातें रोज़ ना होंगी
ज़िन्दगी तुझ बिन रास ना आये
रास आये ना
तेरे बिना

बीती न बितायी रैना (Biti Na Bitayi Raina)

बीती न बितायी रैना
बिरहा की जाई रैना
भीगी हुई अंखियो में
लाख बुझाई रैना

बीती हुई बतिया कोई दोहराए
भूले हुए नामो से कोई तो बुलाये
चाँद की बिंदी वाली बिंदी वाली रतिया
जागी हुई अंखियो में रात न आई रैना

युग आते है और युग जाए
छोटी छोटी यादो के पल नहीं जाए
झूठ से काली लागे लागे काली रतिया
रूठी हुई अंखियो ने लाख मनाई रैना

दिल ढूँढता है, फिर वही फुरसत के रात दिन (Dil Dhundhta Hai Phir Wahi, Fursat Ke Raat Din)

दिल ढूँढता है, फिर वही फुरसत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर-ये-जाना किये हुए

जाड़ों की नर्म धुप और आँगन में लेट कर
आँखों पे खिंच कर तेरे दामन के साए को
औंधे पड़े रहे कभी करवट लिए हुए

या गरमीयों की रात जो पूरवाईयां चले
ठंडी सफ़ेद चादरों पे जागे देर तक
तारों को देखते रहे छत पर पड़े हुए

बर्फीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूंजती हुयी, खामोशियाँ सूने
आँखों में भीगे भीगे से लम्हे लिए हुए

नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा (Naam Gum Jayega, Chehra Ye Badal Jayega)

नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा
मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे

वक्त के सितम कम हसीं नहीं,
आज  हैं यहाँ कल कही नहीं
वक्त  के  परे अगर मिल गए कही,
मेरी आवाज ही .. ..

जो गुजर गयी, कल की बात थी,
उम्र तो नहीं एक रात थी
रात का सिरा अगर फिर मिले कही,
मेरी आवाज ही .. ..

दिन ढले जहा रात पास हो,
जिन्दगी की लौ ऊँची कर चलो
याद आये गर कभी जी उदास हो,
मेरी आवाज ही .. ..

किसी नजर को तेरा, इंतज़ार आज भी हैं (Kisi Nazar Ko Tera Intzaar Aaj Bhi Hai)

किसी नजर को तेरा, इंतज़ार आज भी हैं
कहा हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी हैं

वो वादिया, वो  फिजायें के हम मिले थे जहां
मेरी वफ़ा का वही पर मजार आज भी हैं

न जाने देख के क्यों उन को ये  हुआ एहसास
के मेरे दिल पे उन्हें इख्तियार आज भी हैं

वो प्यार जिस के लिए हमने छोड़ दी दुनिया
वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी हैं

यकीन नहीं हैं मगर आज भी ये लगता हैं
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी हैं

एक अकेला इस शहर में (Ek Akela Is Shahar Me..)

एक अकेला इस शहर में रात में और दोपहर में आबोदाना ढूँढता है आशियाना ढूँढता है

दिन खाली खाली बर्तन है और रात है जैसे अँधा कुआँ
इन सूनी अँधेरी आँखों से आंसूं की जगह आता हैं धुआं
जीने की वजह तो कोई नहीं मरने का बहाना ढूँढता है 
एक अकेला इस शहर में ...

इन उम्र से लम्बी सड़कों को मंजिल पे पोहोंचते  देखा नहीं 
बस  दौड़ती फिरती रहती हैं हमने  तो ठहेरते देखा नहीं 
इस अजनबी से शहर में जाना पहेचाना ढूँढता  है 
एक अकेला इस शहर में ...

Friday 28 October 2011

कोइ जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे (Koi Jab Tumhara Hriday Tod De)

कोइ  जब  तुम्हारा  ह्रदय  तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोइ छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए


अभी तुम को मेरी जरुरत नहीं,
बहोत चाहनेवाले मिल जायेंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम
कँवल जितने चाहोगी खिल जायेंगे
दर्पण तुम्हे जब डराने लगे,
जवानी भी दामन छुडाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा सर झुका है , झुका  ही  रहेगा,
तुम्हारे लिए

कोइ शर्त होती नहीं प्यार में,
मगर प्यार शर्तों पे तुम ने किया
नजर में सितारे जो चमके ज़रा,
बुझाने लगी आरती का दिया
जब अपनी नजर में ही गिरने लगो,
अंधेरो में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
ये दीपक जला है,
जला ही रहेगा तुम्हारे लिए