Monday 31 October 2011

ज़िन्दगी मेरे घर आना आना ज़िन्दगी (Zindagi Mere Ghar Aana Aana Zindagi)

ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना आना ज़िन्दगी
ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना आना ज़िन्दगी

मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
ये घर जो है चारों तरफ से खुला है
न दस्तक ज़रूरी, न आवाज़ देना
मेरे घर का दरवाज़ा कोई नहीं है
हैं दीवारें गुम और छत भी नहीं है
बढ़ी धुप है दोस्त
बढ़ी धुप है दोस्त
तेरे आँचल का साया चुराके जीना है
जीना जीना ज़िन्दगी, ज़िन्दगी
ओ ज़िन्दगी मेरे घर आना
आना ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना

मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
मेरे घर के आगे मोहब्बत लिखा है
न दस्तक ज़रूरी, न आवाज़ देना
मैं सांसों की रफ़्तार से जान लुंगी
हवाओं की खुशबू से पहचान लुंगी
तेरा फूल हूँ दोस्त
तेरी भूल हूँ दोस्त
तेरे हाथों में चेहरा छुपा के जीना है जीना 
जीना  ज़िन्दगी, ज़िन्दगी ओ  ज़िन्दगी
मेरे घर आना
आना ज़िन्दगी ज़िन्दगी मेरे घर आना

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