Saturday 29 October 2011

किसी नजर को तेरा, इंतज़ार आज भी हैं (Kisi Nazar Ko Tera Intzaar Aaj Bhi Hai)

किसी नजर को तेरा, इंतज़ार आज भी हैं
कहा हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी हैं

वो वादिया, वो  फिजायें के हम मिले थे जहां
मेरी वफ़ा का वही पर मजार आज भी हैं

न जाने देख के क्यों उन को ये  हुआ एहसास
के मेरे दिल पे उन्हें इख्तियार आज भी हैं

वो प्यार जिस के लिए हमने छोड़ दी दुनिया
वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी हैं

यकीन नहीं हैं मगर आज भी ये लगता हैं
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी हैं

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