Wednesday 23 November 2011

ज़िन्दगी में जब तुम्हारे गम नहीं थे (Jindagi Me Jab Tumhare Gam Nahi The)

ज़िन्दगी में जब तुम्हारे गम नहीं थे
इतने तनहा थे की हम भी हम नहीं थे

वक़्त पर जो लोग काम आये हैं अक्सर
अजनबी थे, वो मेरे हमदम नहीं थे

बेसबब था तेरा मिलना रहगुज़र में
हादसे हर मोड़ पर कुछ कम नहीं थे

हमने ख्वाबो में खुदा बनकर भी देखा
आप थे, बाहों में दो आलम नहीं थे

सामने दीवार थी खुद्दारियों की
वरना रस्ते प्यार के पुराकम नहीं थे

Saturday 12 November 2011

मेरे दीवानेपन की भी दवा नहीं

मेरे दीवानेपन की भी दवा नहीं
मेरे दीवानेपन की भी दवा नहीं
मैंने जाने क्या सुन लिया तुम ने तो कुछ कहा नहीं

मैं ये समझा मेरे दिल की कोई हसरत निकल गयी
तूने देखा मुझे ऐसे के तबियत मचल गयी
वरना तेरे सर की क़सम आदमी मैं बुरा नहीं

बे-अदब हूँ मैं दीवाना किस कदर तू खफा हुयी
छू लिया क्यूँ बदन तेरा तौबा कैसी खता हुयी
सारी दुनिया में कोई मेरे लायक सज़ा नहीं

चांदनी रात में जैसे रूफ-इ-गुल पे किरण पड़ी
बे-सबब रूठ कर तेरे माथे पे यूं शिकन पड़ी
मेरे महबूब ये तेरी बेरुखी है अदा नहीं

दिए जलते है, फुल खिलते है

दिए जलते है, फुल खिलते है
बड़ी मुश्किल से मगर, दुनिया में दोस्त मिलते है

जब जिस वक्त किसी का, यार जुदा होता है
कुछ ना पूछो यारो दिल का, हाल बुरा होता है
दिल पे यादों के जैसे तीर चलते है

इस रंगरूप पे देखो, हरगीज नाज ना करना
जान भी मांगे यार तो दे देना, नाराज ना करना
रंग उड़ जाते है, धुप ढलते है

दौलत और जवानी, इक दिन खो जाती है
सच कहता हूँ, सारी दुनिया दुश्मन हो जाती है
उमरभर दोस्त लेकिन  साथ चलते है

Saturday 5 November 2011

ये कहाँ आ गए हम, यूँ ही साथ साथ चलते

मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं
तुम होती तो कैसा होता
तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरान होती
तुम उस बात पे कितना हँसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं

ये कहाँ आ गए हम, यूँ ही साथ साथ चलते
तेरी बाहों में हैं जानम, मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते

ये रात हैं या, तुम्हारी जुल्फे खुली हुयी है
है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी राते धुली हुयी है
ये चाँद है, या तुम्हारा कंगन
सितारे है, या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है, या तुम्हारे बदन की खुशबू
ये पत्तियों की हैं सरसराहट, के तुम ने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ, मैं कब से गुमसुम
के जब के, मुझको को भी ये खबर है, के तुम नहीं हो, कही नहीं हो
मगर ये दिल हैं के कह रहा है, तुम यही हो, यही कही हो

तू बदन है, मैं हूँ छाया, तू ना हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करनेवाले, तू जहाँ हैं मैं वहाँ हूँ
हमे मिलना ही था हमदम, किसी राह भी निकलते

मेरी सांस सांस महके, कोई भीना भीना चन्दन
तेरा प्यार चांदनी है, मेरा दिल हैं जैसे आँगन
हुयी और भी मुलायम, मेरी शाम ढलते ढलते

मजबूर ये हालात, इधर भी है, उधर भी
तनहाई की एक रात, इधर भी है, उधर भी
कहने को बहोत कुछ हैं मगर किस से कहे हम
कब तक यूँ ही खामोश रहे हम और सहे हम
दिल कहता हैं दुनियाँ की हर एक रस्म उठा दे
दिवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दे
क्यों दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दे
हां हम को मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी

तुमको देखा तो ये खयाल आया (Tum Ko Dekha To Ye Khayal Aaya)

तुमको देखा तो ये खयाल आया
जिंदगी धुप, तुम घना साया

आज फिर दिल ने एक तमन्ना की
आज फिर दिल को हम ने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यों गाया

यारा सिली सिली, बिरहा के रात का जलना

यारा सिली सिली, बिरहा के रात का जलना
ये भी कोइ जीना हैं, ये भी कोइ मरना

टूटी हुयी चुडीयों से, जोडू ये कलाई मैं
पिछली गली में जाने, क्या छोड़ आयी मैं
बीती हुयी गलियों से, फिर से गुजरना

पैरों में ना साया कोइ, सर पे ना साई रे
मेरे साथ जाए ना, मेरी परछाई रे
बाहर उजाला हैं, अन्दर विराना

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है

वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी, वो आज भी करीब है

झुकी हुयी निगाहों में, कही मेरा ख़याल था
दबी दबी हंसी में, एक हसीं सा गुलाल था
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही हैं वो
न जाने क्यों लगा मुझे के मुस्कुरा रही हैं वो

मेरा ख़याल है, अभी झुकी हुयी निगाहों में
खिली हुयी हँसी भी है, दबी हुयी सी चाह में
मैं जानता हूँ, मेरा नाम गुनगुना रही हैं वो
यही ख़याल हैं मुझे के साथ आ रही हैं वो

तुम्हे हो ना हो, मुझ को तो इतना यकीन है

तुम्हे हो ना हो, मुझ  को तो इतना यकीन है
मुझे प्यार तुम से नहीं है, नहीं है

मुझे प्यार तुम से नहीं है, नहीं है
मगर मैंने ये राज  अब तक ना जाना
के क्यों प्यारी लगती है, बातें तुम्हारी
मैं क्यों तुम से मिलने का ढूँढू बहाना
कभी मैंने चाहा, तुम्हे छू के देखू
कभी मैंने चाहा, तुम्हे पास लाना
मगर फिर भी इस बात का तो यकीन है..

फिर भी जो तुम दूर रहते हो मुझ से
तो रहते हैं दिल पे, उदासी के साए
कोइ ख्वाब ऊँचे मकानों से झांके 
कोइ ख्वाब बैठा रहे, सर झुकाए
कभी दिल की राहों में फैले अन्धेरा
कभी दूर तक रोशनी मुस्कुराए
मगर फिर भी इस बात का तो ..

तुम पुकार लो, तुम्हारा इंतज़ार हैं

तुम पुकार लो, तुम्हारा इंतज़ार हैं
ख्वाब चुन रही हैं रात  बेकरार हैं

होंठ पे लिए हुए, दिल की बात हम
जागते रहेंगे और, कितनी रात हम
मुफ्तसर सी बात है, तुम से प्यार हैं
तुम्हारा इंतज़ार हैं.. ..

दिल बहल तो जाएगा, इस ख़याल से
हाल मिल गया तुम्हारा, अपने हाल से
रात ये करार की, बेकरार हैं
तुम्हारा इंतज़ार हैं .. ..

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं (tujhase naaraaz nahi zindagi, hairaan hoon main)

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं
ओ हैरान हूँ मैं तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ  मैं
ओ परेशान हूँ मैं

जीने के लिए सोचा ही ना था, दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराऊँ तो, मुस्कुराने के क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊँ कभी तो लगता है
जैसे होंटोंन पे क़र्ज़  रखा है

आज अगर भर आई है, बूँदें बरस जायेंगी
कल क्या पता इनके लिए आखें तरस जाएँगी
जाने कहाँ गुम हुआ कहाँ खोया एक आंसू छुपा के रखा था

ज़िन्दगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नए समझाये
मिले जो हमें धुप मैं मिले छाँव के ठन्डे साए

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं
ओ हैरान हूँ मैं तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ  मैं

रुके रुके से कदम, रुक के बार बार चले

रुके रुके से कदम, रुक के बार बार चले
करार लेके तेरे, दर से बेकरार चले

सुबह ना आयी, कई बार नींद से जागे
थी एक रात की ये जिन्दगी, गुजार चले

उठाए फिरते थे एहसान दिल का सीने पर
ले तेरे कदमों में ये कर्जा भी उतार चले

फिर वही रात है, फिर वही रात हैं ख्वाब की

फिर वही रात है, फिर वही रात हैं ख्वाब की
रात भर ख्वाब में देखा करेंगे तुम्हें

मासूम सी नींद में, जब कोई सपना चले
हम को बुला लेना तुम, पलकों के परदे तले
ये रात हैं ख्वाब की, ख्वाब की रात है

काँच के ख्वाब है, आँखों में चुभ जायेंगे
पलकों में लेना इन्हें, आँखों में रुक जायेंगे
ये रात हैं ख्वाब की, ख्वाब की रात है

मुसाफिर हूँ यारों न घर है न ठिकाना (Musafir Hoon Yaro, Naa Ghar Hai Naa Thikaanaa)

मुसाफिर हूँ यारों न घर है न ठिकाना  
मुसाफिर हूँ यारों न घर है न ठिकाना
मुझे चलते जाना है बस चलते जाना

एक राह रुक गयी तो और जुड़ गयी
मैं मुडा तो साथ साथ राह मुड गयी  
हवाओं के परों पर मेरा आशियाना  

दिन ने हाथ थाम कर इधर बितालिया
रात ने इशारे से उधर बुलालिया
सुबह से शाम से मेरा दोस्ताना

मोरा गोरा अंग लई ले

मोरा गोरा अंग लई ले, मोहे शाम रंग दी दे
छूप जाऊंगी रात ही में, मोहे पी का संग दे दे

एक लाज रोके पैय्या, एक मोह खींचे बैय्या
जाऊ किधर ना जानू, हमका कोई बताईदे

बदली हटा के चन्दा, चुप के से झाँके चन्दा
तोहे राहू लागे बैरी, मुसकाये जी जलायके

कुछ खो दिया हैं पायके, कुछ पा लिया गवायके
कहाँ ले चला हैं मनवा, मोहे बावरी बनायके

ओ माझी रे ओ माझी रे (O Majhi Re)

ओ माझी रे ओ माझी रे
अपना किनारा नदियाँ की धारा है
ओ माझी रे

साहिलों पे बहनेवाले, कभी सुना तो होगा कहीं ओ
हो कागजों की कश्तियों का कहीं किनारा होता नहीं
ओ माझी रे माझी रे
कोई किनारा जो किनारे से मिले वोह अपना किनारा है
ओ माझी रे

पानियों में बह रहे हैं कई किनारे टूटे हुए ओ
हो रास्तों में मिल गए हैं सभी सहारे छूटे हुए
कोई सहारा मझधारे में मिले जो, अपना सहारा है
ओ माझी रे अपना किनारा नदियाँ की धरा है
ओ माझी रे

जिया लागे ना, तेरे बीना मेरा कही (Jiya Laage Naa...)

ना, जिया लागे ना
तेरे बीना मेरा कही, जिया लागे ना रे

जीना भूले थे कहा, याद नहीं
तुझ को पाया हैं जहा, सांस फिर आयी वही
जिन्दगी तेरे सिवा, हाय भाये ना
ना, जिया लागे ना

पीया तेरी बावरी से रहा जाए ना

तुम अगर जाओ कभी, जाओ कही
वक्त से कहना ज़रा, वो ठहर जाए वही
वो घड़ी वही रहे, ना जाए ना
ना, जिया लागे ना

मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चूने (Maise Tere Liye Hi Saat Rang Ke)

मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चूने
सपने, सुरीले सपने
कुछ हँसते, कुछ गम के
तेरी आँखों के साए चुराए रसीली यादों ने

छोटी बाते, छोटी, छोटी बातों की हैं यादे बड़ी
भूले नहीं, बीती हुयी एक छोटी घड़ी
जनम जनम से आँखे बिछाई तेरे लिए इन राहों ने

भोले भाले, भोले भाले दिल को बहलाते रहे
तनहाई में तेरे ख्यालों को सजाते रहे
कभी कभी तो आवाज देकर मुझको जगाया ख़्वाबों ने

खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता (Khamosh Sa Afsana Paani Se Likha Hota)

खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता  - (२)
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता खामोश  सा अफसाना
ला ला ला ला ला .........
दिल की बात ना पूछो, दिल तोह आता रहेगा  - (२)
दिल बहकता रहा है, दिल बहकता रहेगा
दिल को तुमने ओह, कुछ समझाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता खामोश सा अफसाना
सहमे से रहते है, जब यह दिन ढलते है - (2)
एक दिया बुझता है, एक दिया जलता है
तुमने कोइ, ओह दीप जलाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता
खामोश सा अफसाना

कितने साहिल ढूंढे, कोइ ना सामने आया - (२)
जब मजधार में डूबे, साहिल थामने आया
तुमने साहिल, ओह पहले बचाया होता
खामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता
ना तुमने कहा होता, ना हमने सुना होता
खामोश सा अफसाना

Friday 4 November 2011

मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं

मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं
सावन के कुछ भीगे दिन रखे हैं
और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पडी हैं
वो रात बुझा दो, मेरा सामान लौटा दो

पतझड़ हैं कुछ, हैं ना ...
पतझड़ में कुछ पत्तों के गिराने की आहट 
कानों में एक बार पहन के लौटाई थी
पतझड़ की वो शांख अभी तक काँप रही हैं
वो शांख गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो

एक अकेले छतरी  में जब आधे आधे भीग रहे थे
आधे सूखे आधे गिले, सुखा तो मैं ले आयी थी
गिला मन शायद, बिस्तर के पास पडा हो
वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो

एक सौ सोलह चाँद की रातें, एक तुम्हारे काँधे का तील
गीली मेहंदी की खुशबू, झूठमूठ के शिकवे कुछ
झूठमूठ के वादे भी, सब याद करा दो
सब भिजवा दो, मेरा वो सामन लौटा दो

एक इजाजत दे दो बस
जब इस को दफ़नाउन्गी 
मैं भी वही सो जाऊँगी

कोई होता जिस को अपना, हम अपना कह लेते यारो (Koi Hota Jisko Apna...)

कोई होता जिस को अपना, हम अपना कह लेते यारो
पास नहीं तो दूर ही होता, लेकीन कोई मेरा अपना

आँखों में नींद ना होती, आंसू ही तैरते रहते
ख़्वाबों में जागते हम रात भर
कोई तो गम अपनाता, कोई तो साथी होता

भूला हुआ कोई वादा, बीती हुयी कुछ यादे
तनहाई दोहराती हैं रातभर
कोई दिलासा होता, कोई तो अपना होता
 

जब भी ये दिल उदास होता है (Jab Bhi Ye Udaas Hota Hai)

जब भी ये दिल उदास होता है
जाने कौन आसपास होता है

होंठ चुपचाप बोलते हो जब
सांस कुछ तेज तेज चलती हो
आँखे जब दे रही हो आवाजे
ठंडी आहो में सांस जलती हो

आँख में तैरती हैं तसवीरे
तेरा चेहरा, तेरा ख़याल लिए
आईना देखता हैं जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए

कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतज़ार रहता है
बेवजह जब करार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा (Jaane Kya Sochkar Nahi Gujara...)

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा
एक पल रातभर नहीं गुजरा

अपनी तनहाई का औरों से ना शिकवा करना
तुम अकेले ही नहीं हो सभी अकेले है
ये अकेला सफ़र नहीं गुजरा

दो घड़ी जीने की मोहलत तो मिली हैं सब को
तुम भी मिल जाओ घडीभर तो ये गम होता है
एक घड़ी का सफ़र नहीं गुजरा

इस मोड़ से जाते है, कुछ सुस्त कदम रस्ते (Is Mod Se Jaate Hai..)

इस मोड़ से जाते है, कुछ सुस्त कदम रस्ते
कुछ तेज कदम राहे
पत्थर की हवेली को, शीशे के घरोंदो में
तिनको के नशेमन तक
इस मोड़ से जाते है...

आंधी की तरह उड़कर, एक राह गुजरती है
शरमाती हुयी कोई, क़दमों से उतरती है
इन रेशमी राहो में, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है..

एक दूर से आती है,पास आके पलटती है
एक राह अकेली सी, रुकती हैं ना चलती है
ये सोच के बैठी हूँ, एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुचती है
इस मोड़ से जाते है.. ..

हुजूर इस कदर भी ना इतराके चलिए (Huzur Is Kadar Bhi....)

हुजूर इस कदर भी ना इतराके चलिए
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिए

कोई मनचला अगर पकड़ लेगा आँचल
ज़रा सोचिये आप क्या किजीयेगा
लगा दे अगर, बढ़ के जुल्फों में कलियाँ
तो क्या अपनी जुल्फे झटक दिजीयेगा

बड़ी दिलनशी हैं हँसी की ये लडीयाँ
ये मोती मगर यूँ ना बिखराया कीजे
उड़ा के ना ले जाए जोंका हवा का
लचकता बदन यूँ ना लहराया कीजे

बहोत खूबसूरत हैं, हर बात लेकिन
अगर दिल भी होता, तो क्या बात होती
लिखी जाती फिर दास्ताँ-ए-मोहब्बत
एक अफसाने जैसी मुलाक़ात होती

घर जायेगी, तर जायेगी, डोलियाँ चढ़ जायेगी (Ghar Jayegi, Tar Jayegi...)

घर जायेगी, तर जायेगी, डोलियाँ चढ़ जायेगी
मेहंदी लगायेगी  रे, काजल सजायेगी रे,
दुल्हनिया मर जायेगी

धीरे धीरे लेके चलना, आँगन से निकलना
कोइ देखे ना, दुल्हन को गली में
अंखिया झुकाते हुए, घुंगटा   गिराए हुए,

मुखडा छुपाये हुए चली मैं
जायेगी, घर जायेगी.. ..

मेहंदी मेहंदी खेली थी मैं,  तेरी ही सहेली थी मैं
तू ने जब कुसुम को चुना था
तू ने मेरा नाम कभी, आँखों से पुकारा नहीं

मैंने जाने कैसे सूना था
जायेगी, घर जायेगी.. ..

छोटी सी कहानी से, बारीशों की पानी से (Chhoti Si Kahani Se, Barisho Ki Paani Se)

छोटी सी कहानी से, बारीशों की पानी से
सारी वादी भर गयी,
ना जाने क्यों, दिल भर गया,
ना जाने क्यों, आँख भर गयी

शाखों पे पत्ते थे,पत्तों पे बूंदे थी
बूंदो में पानी था,पानी में आंसू थे

दिल में गीले भी थे,पहले मिले भी थे
मिलके पराये थे, दो हमसाये थे

हवाओं पे लिख दो, हवाओं के नाम (Hawao Pe Likh Do)

हवाओं पे लिख दो, हवाओं के नाम
हम अनजान परदेसियों का सलाम

ये किस के लिए है, बता किस के नाम
ओ पंछी तेरा ये सुरीला सलाम

शांख पर जब धुप आयी, हाथ छू ने के लिए
छाँव छम से नीचे कूदी, हँस के बोली आईये
यहाँ सुबह से खेला करती हैं शाम

चुलबुला ये पानी अपनी राह बहना भूलकर
लेटे लेटे आईना चमका रहा हैं फूलपर
ये भोले से चेहरे हैं मासूम नाम

हम ने देखी है, उन आखों की महकती खुशबू (Hamne Dekhi Hai In Aankho Ki Mahakti Khushbhoo)

हम ने देखी है, उन आखों की महकती खुशबू
हाथ से छूके इसे, रिश्तो का इल्जाम ना दो
सिर्फ एहसास हैं ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो

प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज नहीं
एक खामोशी हैं सुनती हैं कहा करती हैं
न ये बुझती है, न रुकती है, न ठहरी हैं कही
नूर की बूँद है, सदियों से बहा करती हैं

मुस्कराहट सी खिली रहती हैं आँखों में कही
और पलको पे उजाले से झुके रहते हैं
होठ कुछ कहते नहीं, कापते होठों पे मगर
कितने खामोश से अफसाने रुके रहते हैं

हम को मन की शक्ती देना, मन विजय करे (Hum Ko Man Ki Shakti Dena)

हम को मन की शक्ती देना, मन विजय करे
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करे

भेदभाव अपने दिल से साफ़ कर सके
दोस्तों से भूल हो तो माफ़ कर सके
झूठ से बचे रहे, सच का दम भरे
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करे

मुश्किलें पड़े तो हम पे इतना करम कर
साथ दे तो धरम का, चले तो धरम कर
खुद पे हौसला रहे, बदी से ना डरे
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करे

गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता Gulmohar Gar Tumhara Naam Hota

गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता
मौसम-इ-गुल को हसाना भी हमारा काम होता

आएँगी बहारें तो अबके उन्हें कहना ज़रा
इतना  सुने
मेरे गुल बिना कहाँ उनका बहार नाम होता
गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता ...

शाम के गुलाबी से आँचल में एक दिया जला
है चाँद का
मेरे उन बिना कहाँ उसका चाँद नाम होता
गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता ...

बोले रे पपीहरा, पपीहरा bole re papeeharaa, papeeharaa

बोले रे पपीहरा, पपीहरा
नीत घन बरसे, नीत मन प्यासा
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे

पलकों पर एक बूँद सजाये
बैठी हूँ सावन ले जाए
जाए पी के देस में बरसे
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे

सावन जो संदेसा लाये
मेरी आँख से मोती पाए
जान मिले बाबूल के घर से
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे

आज कल पाँव जमीन पर नहीं पड़ते मेरे aaj kal paaw jameen par naheen padate mere

आज कल पाँव जमीन पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा हैं कभी, तुमने मुझे उड़ते हुए

जब भी थामा हैं तेरा हाथ तो देखा हैं
लोग कहते हैं की, बस हाथ की रेखा हैं
हम ने देखा हैं दो  तकदीरों को जुड़ते हुए

नींद सी रहती है, हलकासा नशा रहता हैं
रात दिन आखों में, एक चेहरा बसा रहता हैं
पर लगी आखों को देखा हैं कभी उड़ते हुए

जाने क्या होता है, हर बात पे कुछ होता हैं
दिन में कुछ होता है, और रात में कुछ होता हैं
थाम लेना जो कभी देखो हमे उड़ते हुए

आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं Aankhon Mein Hamne Aap Ke Sapne Sajaaye Hain

आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं
पलकें उठा के आप ने जादू जगाये हैं
सपना भी आप ही हैं हकीकत भी आप हैं
बस आप आप आप ही मुझमें समाये हैं

आँखों का रंग  ढूंढा है हीरे तलाश कर
दिल में सजायेंगे ये रंग यूँ ही उम्र भर
मुश्किल से ज़िन्दगी के
मुश्किल से ज़िन्दगी के, रंग हाथ आये हैं
आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं

दोहराए जायेंगे न ये लम्हात अब कभी
सपनों में भी न छूटेगा ये साथ अब कभी
मिलती है ज़िन्दगी जब आप मुस्कुराए हैं

ये दिल कुछ ऐसे आप के सजदे में झुक गया
नज़रे उठायी आप ने तो वक़्त रुक गया
ठहरे हुए पलों में
ठहरे हुए पलों में, ज़माने बिताये हैं
आँखों में हमने आप के सपने सजाये हैं

आप की आँखों में कुछ महके हुए से राज़ है (Aap Ki Aankho Me Kuchh Mahake Hue Se Raaj Hai)

आप की आँखों में कुछ महके हुए से राज़ है (२)
आप से भी ख़ूबसूरत आप के अंदाज़ है
आप की आँखों में कुछ महके हुए से राज़ है

लब हिले तो मोगरे के फूल खिलते है कहीं (२)
आप की आँखों में क्या साहिल भी मिलते है  कहीं
आप की खामोशियाँ भी आप की आवाज़ है

आप की बातों में फिर कोई शरारत तो नहीं (२)
बेवजह तारीफ़ करना आप की आदत तो नहीं
आप की बदमाशियों के यह नए अंदाज़ है

Wednesday 2 November 2011

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को Jaise suraj ki garmi se jalte hue tan ko

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला हैं मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम

भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लडती हुयी नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा
उस लडखडाती हुयी नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया

शीतल बने आग चन्दन के जैसी, राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाए रातें, जो थी अमावस अंधेरी
युग युग से प्यासी मरुभूमी में जैसे सावन का संदेस पाया

जिस राह की मंझील तेरा मिलन हो, उस पर कदम मैं बढ़ाऊ
फूलों में खारों में, पतझड बहारों में, मैं ना कभी डगमगाऊ
पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया

ये गर्व भरा, मस्तक मेरा Ye Garv Bhara, Mastak Mera

ये गर्व भरा, मस्तक मेरा
प्रभु चरण धुल तक, झुकने दे
अहंकार विकार, भरे मन को
निज नाम की माला, जपने दे
ये गर्व भरा ...

मै मन की मैल को, धो न सका
ये जीवन तेरा,  हो न सका
आ हो न सका, मै प्रेमी हूँ
इतना न झुका
गिरभी जो पडूं  तो, उठने दे
ये गर्व भरा ...


मैं ज्ञान की बातों में, खोया
और, कर्म हीन पड़कर सोया
जब आंख खुली, तो मन रोया
जब सोये मुझ को , जागने दे
ये गर्व भरा ...


जैसा होऊं मै, खोटा या खरा,
निर्दोष शरण में , आ तो गया
आ, आ तो गया
इक बार ये, कहदे खाली जा
ये प्रीत की रीत, झलक ने दे
ये गर्व भरा ...

Tuesday 1 November 2011

तू जो मेरे सुर में Tu jo mere sur mein

तू जो मेरे सुर में - २ 
सुर मिला ले  संग गा ले
तो ज़िन्दगी हो जाए सफल 

तू जो मेरे मन का - २
घर बना ले, मन लगा ले
तो बंदगी हो जाए सफल 

तू जो मेरे सुर में
        
चांदनी रातो में, हाथ लिए हाथो में  
चांदनी रातो में, हाथ लिए हाथो में 
डूबे रहे एक दुसरे की, रस भरी बातो में 

तू जो मेरे संग में - २
मुस्कुरा ले, गुनगुना ले 
तो ज़िन्दगी हो जाए सफल 
तू जो मेरे मन का...
तू जो मेरे सुर में...
          
क्यों हम बहारो से, खुशिया उधार ले 
क्यों हम बहारो से, खुशिया उधार ले
क्यों न मिलके हम खुद ही अपना जीवन सुधार ले 

तू जो मेरे पथ में - २
दीप जलाले हो उजाले
तो बंदगी हो जाए सफल 

तू जो मेरे सुर में - २
सुर मिला ले, संग गा ले
तो ज़िन्दगी हो जाए सफल

रजनीगन्धा फूल तुम्हारे, महके यूं ही जीवन में rajaneegandhaa phool tumhaare

रजनीगन्धा फूल तुम्हारे, महके यूं ही जीवन में
यूं ही महके प्रीत पीया की मेरे अनुरागी मन में

आधिकार ये जब से साजन का हर धड़कन पर माना मैंने
मै जब से उन के साथ बंधी, ये भेद तभी जाना मैंने
कितना सुख हैं बंधन में

हर पल मेरी इन आखों में बस रहते हैं सपने उन के
मन कहता हैं मैं रंगों की, एक प्यार भरी बदली बन के
बरसू उन के आँगन में

न जाने क्यूँ, होता है यह ज़िन्दगी के साथ Na Jaane Kyun, Hota Hai Yeh Zindagi Ke Saath

न जाने क्यूँ, होता है  यह ज़िन्दगी के साथ
अचानक यह मन, किसीके जाने के बाद
करे फिर उसकी याद छोटी छोटी सी बात
न जाने क्यूँ  ...

जो अनजान पल, ढल गए कल, आज वोह
रंग बदल बदल, मन को मचल मचल
रहें है चल, न जाने क्यूँ वोह अनजान पल
सजे भी न मेरे, नैनो में
टूटे रे है रे सपनो के महल
न जाने क्यूँ  ...

वोही है डगर, वोही है सफ़र 
है नहीं साथ मेरे मगर अब मेरा हमसफ़र
इधर उधर ढूंढे नज़र वोही है डगर
कहाँ गयी शामें, मदभरी  
वोह मेरे, मेरे वोह दिन गए किधर
न जाने क्यूँ ...

कई बार यूं भी देखा है Kaee Baar Yoo Bhee Dekhaa Hai

कई बार यूं भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी प्यास के पीछे
अनजानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता है

राहों में, राहों में
जीवन की राहों में
जो खिले हैं फूल फूल मुस्कुरा के
कौन सा फूल चुरा के
रखू मन में सजा के

जानू ना, जानू ना
उलझन ये जानू ना
सुलझाऊ कैसे कुछ समझ ना पाऊ
किस को मीत बनाऊ
किस की प्रीत भूलाऊ

जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना (Jab Deep Jale Aana, Jab Shaam Dhale Aana)

जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना
संदेस मिलन का भूल न जाना मेरा प्यार न बिसराना
जब दीप जले आना

नीत सांझ सवेरे मिलते हैं
उन्हें देखके तारे खिलते हैं
लेते हैं वादा एक दूजे से कहते हैं चले आना
जब दीप जले आना

नी रे गा, रे गा, प गा  रे  सा  सा  नी

मैं पलकन डगर बुहारुंगा
तेरी राह निहारूंगा
मेरी प्रीत का काजल तुम अपने नैनो में मले आना
जब दीप जले आना

जहां पहेली बार मिले थे हम
जिस जगह से संग चले थे हम
नदिया के किनारे आज उसी
अम्बुआ के तले आना
जब दीप जले आना