Tuesday 1 November 2011

कई बार यूं भी देखा है Kaee Baar Yoo Bhee Dekhaa Hai

कई बार यूं भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी प्यास के पीछे
अनजानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता है

राहों में, राहों में
जीवन की राहों में
जो खिले हैं फूल फूल मुस्कुरा के
कौन सा फूल चुरा के
रखू मन में सजा के

जानू ना, जानू ना
उलझन ये जानू ना
सुलझाऊ कैसे कुछ समझ ना पाऊ
किस को मीत बनाऊ
किस की प्रीत भूलाऊ

2 comments:

  1. One with love in eyes sees flowers blooming all her way wherever she goes. The choice is very difficult as to which flower is to be preferred.

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