Friday 4 November 2011

आज कल पाँव जमीन पर नहीं पड़ते मेरे aaj kal paaw jameen par naheen padate mere

आज कल पाँव जमीन पर नहीं पड़ते मेरे
बोलो देखा हैं कभी, तुमने मुझे उड़ते हुए

जब भी थामा हैं तेरा हाथ तो देखा हैं
लोग कहते हैं की, बस हाथ की रेखा हैं
हम ने देखा हैं दो  तकदीरों को जुड़ते हुए

नींद सी रहती है, हलकासा नशा रहता हैं
रात दिन आखों में, एक चेहरा बसा रहता हैं
पर लगी आखों को देखा हैं कभी उड़ते हुए

जाने क्या होता है, हर बात पे कुछ होता हैं
दिन में कुछ होता है, और रात में कुछ होता हैं
थाम लेना जो कभी देखो हमे उड़ते हुए

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