रजनीगन्धा फूल तुम्हारे, महके यूं ही जीवन में
यूं ही महके प्रीत पीया की मेरे अनुरागी मन में
आधिकार ये जब से साजन का हर धड़कन पर माना मैंने
मै जब से उन के साथ बंधी, ये भेद तभी जाना मैंने
कितना सुख हैं बंधन में
हर पल मेरी इन आखों में बस रहते हैं सपने उन के
मन कहता हैं मैं रंगों की, एक प्यार भरी बदली बन के
बरसू उन के आँगन में
यूं ही महके प्रीत पीया की मेरे अनुरागी मन में
आधिकार ये जब से साजन का हर धड़कन पर माना मैंने
मै जब से उन के साथ बंधी, ये भेद तभी जाना मैंने
कितना सुख हैं बंधन में
हर पल मेरी इन आखों में बस रहते हैं सपने उन के
मन कहता हैं मैं रंगों की, एक प्यार भरी बदली बन के
बरसू उन के आँगन में
Rajnigandha Phool Tumhare (Rajnigandha - 1974) HQ
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