ओ माझी रे ओ माझी रे
अपना किनारा नदियाँ की धारा है
ओ माझी रे
साहिलों पे बहनेवाले, कभी सुना तो होगा कहीं ओ
हो कागजों की कश्तियों का कहीं किनारा होता नहीं
ओ माझी रे माझी रे
कोई किनारा जो किनारे से मिले वोह अपना किनारा है
ओ माझी रे
पानियों में बह रहे हैं कई किनारे टूटे हुए ओ
हो रास्तों में मिल गए हैं सभी सहारे छूटे हुए
कोई सहारा मझधारे में मिले जो, अपना सहारा है
ओ माझी रे अपना किनारा नदियाँ की धरा है
ओ माझी रे
अपना किनारा नदियाँ की धारा है
ओ माझी रे
साहिलों पे बहनेवाले, कभी सुना तो होगा कहीं ओ
हो कागजों की कश्तियों का कहीं किनारा होता नहीं
ओ माझी रे माझी रे
कोई किनारा जो किनारे से मिले वोह अपना किनारा है
ओ माझी रे
पानियों में बह रहे हैं कई किनारे टूटे हुए ओ
हो रास्तों में मिल गए हैं सभी सहारे छूटे हुए
कोई सहारा मझधारे में मिले जो, अपना सहारा है
ओ माझी रे अपना किनारा नदियाँ की धरा है
ओ माझी रे
Kishore - O Majhi Re - Khushboo [1975]
ReplyDelete