Friday 23 December 2011

जाग दर्दे इश्क जाग (Jaag Darde Ishq Jaag)

जाग दर्दे इश्क जाग - (२)
दिल को बेक़रार कर, छेड़ के आंसुओ का राग
जाग  दर्दे इश्क जाग - (२)
जाग .... जाग .....

किसको सुनाऊ दास्ताँ, किसको दिखाऊ दिल के दाग
जाऊ कहा की दूर तक, जलता नहीं कोई चिराग - (२)
राख़ बन चुकी है आग - (२)
दिल को बेक़रार कर, छेड़ के आंसुओ का राग
जाग .... जाग .....

ऐसी चली हवा-ए-गम, ऐसा बदल गया समां - (२)
रूठ के मुझसे चल दिए - २ मेरी ख़ुशी  के कारवां
डस रहें हैं ग़म के नाग
जाग दर्दे इश्क जाग - (२)
दिल को बेक़रार कर, छेड़ के आंसुओ का राग
जाग  दर्दे इश्क जाग

आँख जरा लगी तेरी, सारा जहाँ सो गया
यह जमीं सो गयी, असमान सो गया, सो गया प्यार का चिराग
जाग, जाग, जाग .........

पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई (Puchho Na Kaise Maine Rain Bitayee)

पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई
इक पल जैसे, इक युग बीता - २
युग बीते मोहे नींद न आई
पूछो न कैसे ...

(ना कही चंदा, ना कही तारे
ज्योत के प्यासे मेरे, नैन बिचारे) - २
भोर भी आस की किरण न लायी
पूछो न कैसे ...

इक जले दीपक इक  मन मेरा ...
इक जले दीपक इक  मन मेरा
फिर भी न जाए मेरे घर का अँधेरा
तडपत तरसत उम्र गवाई
पूछो न कैसे ...

Tuesday 20 December 2011

ये महलो, ये तख्तो, ये ताजो की दुनिया (Ye Mahlo Ye Takhto Ye Taajo Ki Duniya)

ये महलो, ये तख्तो, ये ताजो की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजो की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजो की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

हर एक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी,
निगाहों में उलझन, दिलो में उदासी,
ये दुनिया है या आलम-इ-बदहवासी,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

यहाँ एक खिलौना है इंसा की हस्ती,
ये बस्ती है मुर्दा-परस्तो की बस्ती,
यहाँ तो जीवन से है मौत सस्ती,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

जवानी भटकती है बदकार बन कर,
जवा जिस्म सजते हैं बाज़ार बन कर,
यहाँ प्यार होता है व्यापार बन कर,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

ये दुनिया जहां आदमी कुछ नहीं है,
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है,
यहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

जला दो इसे, फूँक डालो ये दुनिया,
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया ,
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

ये दुनिया, ये महफ़िल मेरे काम की नहीं (Ye Duniya Ye Mahafil...)

ये दुनिया, ये महफ़िल मेरे काम की नहीं

किस को सुनाऊ हाल दिल-ये-बेकरार का
बुज़ता हुआ चराग हूँ अपने मजार का
ए काश भूल जाऊ, मगर भूलता नहीं
किस धूम से उठा था, जनाजा बहार का

अपना पता मिले, ना खबर यार की मिले
दुश्मन को भी ना एसी सजा प्यार की मिले
उनको खुदा मिले हैं खुदा की जिन्हें तलाश
मुज़ को बस एक ज़लक मेरे दिलदार की मिले

सहारा में आके भी, मुज़ को ठिकाना ना मिला
गम को भूलाने का, कोइ बहाना ना मिला
दिल तरसे जिस में प्यार को, क्या समजू उस संसार को
एक जीती बाजी हार के, मैं ढूँढू बिछड़े यार को

दूर निगाहों से आंसू बहाता हैं कोइ
कैसे ना जाऊ मै, मुज़ को बुलाता हैं कोइ
या टूटे दिल को जोड़ दो, या सारे बंधन तोड़ दो
ए परबत रास्ता दे मुजे, ए काँटों दामन छोड़ दो

जाने वोह कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला (Jane Wo Kaise Log The..)

जाने वोह कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला
हमने तो जब कलियाँ मांगी काटों का हार मिला

बिछड़ गया हर साथी देकर पल दो पल का साथ
किसको फुरसत है जो थामे दीवाने का हाथ
हमको अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला
हमने तो जब ..

इसको ही जीना कहते हैं तो यूँही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे आंसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा ग़म सौ बार मिला
हमने तो जब...

रुक जाना नहीं तू कही हार के (Ruk Jaana Nahi, Tu Kahi Haar Ke)

रुक जाना नहीं तू कही हार के
कांटो पे चल के मिलेंगे साए बहार के
ओ राही, ओ राही

सूरज देख रुक गया है, तेरे आगे जुक गया है
जब कभी ऐसे कोइ मसताना
निकले हैं अपनी धून में दीवाना
शाम सुहानी बन जाती है, दिन इंतज़ार के

साथी ना कारवां है, ये तेरा इम्तिहान है
यूही चला चल दिल के सहारे
के देती हैं मंजील तुज को इशारे
देख कही कोइ रोका नहीं ले, तुज को पुकार के