Tuesday 20 December 2011

ये महलो, ये तख्तो, ये ताजो की दुनिया (Ye Mahlo Ye Takhto Ye Taajo Ki Duniya)

ये महलो, ये तख्तो, ये ताजो की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजो की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजो की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

हर एक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी,
निगाहों में उलझन, दिलो में उदासी,
ये दुनिया है या आलम-इ-बदहवासी,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

यहाँ एक खिलौना है इंसा की हस्ती,
ये बस्ती है मुर्दा-परस्तो की बस्ती,
यहाँ तो जीवन से है मौत सस्ती,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

जवानी भटकती है बदकार बन कर,
जवा जिस्म सजते हैं बाज़ार बन कर,
यहाँ प्यार होता है व्यापार बन कर,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

ये दुनिया जहां आदमी कुछ नहीं है,
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है,
यहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

जला दो इसे, फूँक डालो ये दुनिया,
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया ,
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या हैं?

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