Saturday 5 November 2011

मोरा गोरा अंग लई ले

मोरा गोरा अंग लई ले, मोहे शाम रंग दी दे
छूप जाऊंगी रात ही में, मोहे पी का संग दे दे

एक लाज रोके पैय्या, एक मोह खींचे बैय्या
जाऊ किधर ना जानू, हमका कोई बताईदे

बदली हटा के चन्दा, चुप के से झाँके चन्दा
तोहे राहू लागे बैरी, मुसकाये जी जलायके

कुछ खो दिया हैं पायके, कुछ पा लिया गवायके
कहाँ ले चला हैं मनवा, मोहे बावरी बनायके

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