बोले रे पपीहरा, पपीहरा
नीत घन बरसे, नीत मन प्यासा
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे
पलकों पर एक बूँद सजाये
बैठी हूँ सावन ले जाए
जाए पी के देस में बरसे
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे
सावन जो संदेसा लाये
मेरी आँख से मोती पाए
जान मिले बाबूल के घर से
नीत मन प्यासा, नीत मन तरसे
Bole Re Papi Hara / Guddi
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