Monday 31 October 2011

होंठों से छू लो तुम (Honthon Se Chulo Tum)

होंठों से छू लो तुम
मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मित मेरे
मेरी प्रीत अमर कर दो

न उम्र की सीमा हो
न जनम का हो बंधन
जब प्यार करे कोई
तो देखे केवल मन
नयी रीत चलाकर तुम
ये रीत अमर कर दो

होंठों से छू लो तुम

जग ने छिना मुझसे
मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे
मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना
मेरी जित अमर कर दो

होंठों से छू लो तुम

आकाश का सूनापन
मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम
आजाओ जीवन में
साँसें देकर अपनी
संगीत अमर कर दो

होंठों से छू लो तुम  

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