Monday 31 October 2011

कैसे कहे हम प्यार ने हम को, क्या क्या खेल दिखाए (kaise kahe hum pyaar ne hum ko, kyaa kyaa khel dikhaaye)

कैसे कहे हम  प्यार ने हम को, क्या क्या खेल दिखाए
यूं शरमाई किस्मत हम से, खुद से हम शरमाये

बागों को तो पतझड़ लुटे, लूटा हमे बहार ने
दुनिया मरती मौत से लेकिन  मारा हम को प्यार ने
अपना वो हाल है, बीच सफ़र में, जैसे कोइ लूट जाए

तुम क्या जानो, क्या चाहा था, क्या लेकर आये हम
टूटे सपने, घायल नगमे, कुछ शोले कुछ शबनम
कितना कुछ हैं पाया हम ने, कहे तो कहा ना जाए

एसी बजी शहनाई घरमे, अब तक सो ना सके हम
अपनों ने हम को इतना सताया, रोये तो रोना सके  हम
अब तो करो कुछ एसा यारो, होश ना हम को आये

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