Saturday, 29 October 2011

बीती न बितायी रैना (Biti Na Bitayi Raina)

बीती न बितायी रैना
बिरहा की जाई रैना
भीगी हुई अंखियो में
लाख बुझाई रैना

बीती हुई बतिया कोई दोहराए
भूले हुए नामो से कोई तो बुलाये
चाँद की बिंदी वाली बिंदी वाली रतिया
जागी हुई अंखियो में रात न आई रैना

युग आते है और युग जाए
छोटी छोटी यादो के पल नहीं जाए
झूठ से काली लागे लागे काली रतिया
रूठी हुई अंखियो ने लाख मनाई रैना

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