रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
जाने कहा है, ओ साथी, तू जो मिले जीवन उजियारा है
पग पग मन मेरा ठोकर खाए, चाँद सूरज भी राह ना दिखाए
एसा उजाला कोइ मन में समाये, जिस से पीया का दर्शन मिल जाए
गहरा ये भेद कोइ मुझ को बताये, किसने किया हैं मुझपर अन्याय
जिस का हो दीप वो सुख नहीं पाए, ज्योत दिए की दूजे घर को सजाये
खुद नहीं जानू ढूंढें किस को नजर, कौन दिशा हैं मेरे मन की डगर
कितना अजब ये दिल का सफ़र, नदियाँ में आये जाए जैसे लहर
जाने कहा है, ओ साथी, तू जो मिले जीवन उजियारा है
पग पग मन मेरा ठोकर खाए, चाँद सूरज भी राह ना दिखाए
एसा उजाला कोइ मन में समाये, जिस से पीया का दर्शन मिल जाए
गहरा ये भेद कोइ मुझ को बताये, किसने किया हैं मुझपर अन्याय
जिस का हो दीप वो सुख नहीं पाए, ज्योत दिए की दूजे घर को सजाये
खुद नहीं जानू ढूंढें किस को नजर, कौन दिशा हैं मेरे मन की डगर
कितना अजब ये दिल का सफ़र, नदियाँ में आये जाए जैसे लहर
The inner enlightenment can make all difference. All divisions cease to exit, all ripples are calmed down once glows the inner light.
ReplyDeleteRaat aur din diya jale (Mukesh)
ReplyDeleteRAAT AUR DIN DIYA JALE LATA MANGESHKAR FILM RAAT AUR DIN [1967] SHANKAR JAIKISHAN..
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