Monday 31 October 2011

अंखियों के झरोखों से मैंने देखा जो सांवरे (Ankhiyon Ke Jharokhon Se Maine Dekha Jo Saanware)

अंखियों के झरोखों से मैंने देखा जो सांवरे
तुम दूर नज़र आये बड़ी दूर नज़र आये
बंद करके झरोखों को ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम्ही मुस्काए मन में तुम्ही मुस्काए
अंखियों के झरोखों से

एक मन था मेरे पास वोह अब खोने लगा है
पाकर तुझे है मुझे कुछ होने लगा है
एक तेरे भरोसे पे सब बैठी हूँ भूल के
यूं ही उम्र गुज़र जाये तेरे साथ गुज़र जाये
अंखियों के झरोखों से ...

जीती हूँ तुझे देख के मरती हूँ तुम्ही पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीँ पे
दिन रात दुआ मांगे मेरा मन तेरे वास्ते
कभी अपनी उम्मीदों का कहीं फूल न मुरझाये
अंखियों के झरोखों से ...

मैं जब से तेरे प्यार के रंगों में रंगी हूँ
जागते हुए सोई नहीं नींदों में जगी हूँ
मेरे प्यार भरे सपने कहीं कोई न छीन ले
मन सोच के घबराये यही सोच के घबराये
अंखियों के झरोखों से ...

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