Tuesday, 20 December 2011

रुक जाना नहीं तू कही हार के (Ruk Jaana Nahi, Tu Kahi Haar Ke)

रुक जाना नहीं तू कही हार के
कांटो पे चल के मिलेंगे साए बहार के
ओ राही, ओ राही

सूरज देख रुक गया है, तेरे आगे जुक गया है
जब कभी ऐसे कोइ मसताना
निकले हैं अपनी धून में दीवाना
शाम सुहानी बन जाती है, दिन इंतज़ार के

साथी ना कारवां है, ये तेरा इम्तिहान है
यूही चला चल दिल के सहारे
के देती हैं मंजील तुज को इशारे
देख कही कोइ रोका नहीं ले, तुज को पुकार के

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