Friday 13 January 2012

युग युग से हिंदुत्व सुधा की, बरस रही मंगलमय धार (yug yug se hindutva sudha ki)

युग युग से हिंदुत्व सुधा की, बरस रही मंगलमय धार
भारत की हो जय-जयकार भारत की हो जय-जयकार

भारत ने ही सारे जग को ज्ञान और विज्ञान दिया
अनुपम स्नेह भरी दृष्टि से जन-जन का उपकार किया
जननी की पावन पूजा का सुखमय रूप हुआ साकार                     १

भारत अपने भव्य रूप  को धरती पर फिर प्रकटाए
नष्ट करे सारे दोषों को समरसता नित सरसाए
पुण्य धरा के अमर पुत्र हम पहिचाने निज शक्ति अपार               २

भारत भक्ति ह्रदय में भरकर अनथक तप दिन रत करे 
शाखा रूपी नित्य साधना सुन्दर सुगठित रूप वरे 
निर्भय होकर बढे निरंतर ढृढ़ता से जीवनव्रत धार                    ३

No comments:

Post a Comment