युग युग से हिंदुत्व सुधा की, बरस रही मंगलमय धार
भारत की हो जय-जयकार भारत की हो जय-जयकार
भारत ने ही सारे जग को ज्ञान और विज्ञान दिया
अनुपम स्नेह भरी दृष्टि से जन-जन का उपकार किया
जननी की पावन पूजा का सुखमय रूप हुआ साकार १
भारत अपने भव्य रूप को धरती पर फिर प्रकटाए
नष्ट करे सारे दोषों को समरसता नित सरसाए
पुण्य धरा के अमर पुत्र हम पहिचाने निज शक्ति अपार २
भारत भक्ति ह्रदय में भरकर अनथक तप दिन रत करे
शाखा रूपी नित्य साधना सुन्दर सुगठित रूप वरे
निर्भय होकर बढे निरंतर ढृढ़ता से जीवनव्रत धार ३
भारत की हो जय-जयकार भारत की हो जय-जयकार
भारत ने ही सारे जग को ज्ञान और विज्ञान दिया
अनुपम स्नेह भरी दृष्टि से जन-जन का उपकार किया
जननी की पावन पूजा का सुखमय रूप हुआ साकार १
भारत अपने भव्य रूप को धरती पर फिर प्रकटाए
नष्ट करे सारे दोषों को समरसता नित सरसाए
पुण्य धरा के अमर पुत्र हम पहिचाने निज शक्ति अपार २
भारत भक्ति ह्रदय में भरकर अनथक तप दिन रत करे
शाखा रूपी नित्य साधना सुन्दर सुगठित रूप वरे
निर्भय होकर बढे निरंतर ढृढ़ता से जीवनव्रत धार ३
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